उत्तराखंडदेशपर्यटनराष्ट्रीय

Current Affairs!!IAS Re-shuffling::Lobby पर Image-Performance को तरजीह!CM पुष्कर का नौकरशाही पर अप्रत्याशित Strike:नई Team को चुस्त-Smart-ठोस सूरत देने में जुटे:उत्तराखंड में IAS-PCS अफसरों का इतना बड़ा फेरबदल एक साथ कभी नहीं हुआ:संदेश साफ-Act Good-Take Lead

Assembly Election तक कील-कांटे दुरुस्त करेंगे PSD!

Chetan Gurung

उत्तराखंड नौकरशाही के इतिहास में एक साथ इतनी अधिक तादाद में IAS-PCS अफसरों के तबादले कभी नहीं हुए, जितने कल आधी रात घिर आने से डेढ़ घंटे पहले CM पुष्कर सिंह धामी ने कर दिए। 31 IAS-1 IFS और 24 PCS अफसरों को उन्होंने तब फेंट डाले जब राजधानी में देश की प्रथम नागरिक President द्रौपदी मुर्मु 3 दिन के लिए कदम रख चुकी हैं। Monsoon और आपदा का मौसम सिर पर है। 4 धाम यात्रा Season उफान पर है। इस फेरबदल की खासियत नौकरशाही में Lobby को दरकिनार कर सिर्फ Image और Performance के आधार पर ज़िम्मेदारी छीनना और लेना रहा। ये कहा जा सकता है कि साल-2027 के Assembly Election से पहले नौकरशाही और तंत्र के सभी कील-कांटे मुख्यमंत्री दुरुस्त कर खुद को और BJP को और अधिक मजबूत करना चाहते हैं।

उत्तराखंड की नौकरशाही में आपसी गुटबाजी या Lobbying राज्य गठन से पहले शुरू हो गई थी। UP के एक प्रमुख सचिव राज्य गठन के पहले आए और पहले ही यहाँ न आने का फैसला ले के लौट गए। फिर उस वक्त के गढ़वाल के Commissioner बृजमोहन बोहरा और राजधानी गठन के प्रभारी डॉ रघुनंदन सिंह टोलिया में Cold War राज्य गठन से पहले ही भीषण हो गया था।

पहले Chief Secretary अजय विक्रम सिंह और उनके उत्तराधिकारी बने मधुकर गुप्ता-फिर डॉ टोलिया तक ही नौकरशाही के सर्वोच्च Boss को ले के सियासत नहीं रही। उसके बाद कई मुख्य सचिवों ने इस कुर्सी तक पहुँचने के लिए भारी जद्दोजहद और साजिशें-आपसी सियासतों को झेला। इनमें M रामचंद्रन-सुरजीत किशोर दास-नृप सिंह नपल्च्याल-आलोक कुमार जैन-सुभाष कुमार-राकेश शर्मा सरीखे बड़े और प्रमुख नाम शुमार हैं।

सुरजीत-रघुनंदन अब दिवंगत हो चुके हैं। राकेश के बाद सियासत की तपिश कम महसूस होती रही लेकिन सच ये है कि अंदरखाने कमोबेश ये सियासत नौकरशाही में बाद से ले के आज तक जारी है। एक बदलाव ये आया कि बाद के सालों में सिर्फ CS की कुर्सी को ले के सियासत नहीं ठहर गई। सचिव-प्रमुख सचिव स्तर तक ये सियासत अपने डैने फैला चुकी है। अब इस स्तर के नौकरशाहों में भी खेमेबाजी हो चुकी हैं। इसका नकारात्मक असर असलियत में प्रशासन और तंत्र को ढंग से संचालित करने पर पड़ता है।

मुख्यमंत्री PSD नौकरशाहों के जाल में फँसने से बचते रहे हैं। लोग और खुद नौकरशाह मान रहे हैं कि उनके कुछ हालिया फैसले इसकी तसदीक करते हैं। हरिद्वार में Land Scam में घिर IAS-PCS अफसरों को Suspend करना हो या फिर हाल ही में Retire हुए हरी चंद सेमवाल को Extension न देना या फिर IAS अफसरों के ताजा फेरबदल को गौर से देखा जाए तो ये संदेश पढ़ा जा सकता है कि अब सिर्फ नौकरशाहों की प्रतिष्ठा-छवि और कामकाज को ही तरजीह मिलेगी।

ऐसा न होता तो धिराज गर्ब्याल और युगल किशोर पंत की शासन की मुख्य धारा में इतनी जोरदार वापसी न हो पाती। धिराज को पर्यटन और युगल को सिंचाई सरीखे महकमे मिले। ये याद रखना चाहिए कि दोनों SCS से IAS हैं और जिनको उन्होंने Replace किया वे RR (Direct) IAS हैं। पर्यटन महकमा सचिन कुर्वे से वापिस लिया गया तो इसके पीछे खुद BJP के नेताओं-दर्जाधारियों की भी उनसे शिकायत थी।

कम मिलने-जुलने-कम बोलने वाले साल-2003 Batch के सचिन अपने शुरुआती दिनों में भी Seniors तक से भिड़ जाया करते थे। CM PSD ऐसी नौकरशाही तैयार करने में जुटे हैं, जो काम करने के साथ ही सरकार की छवि को भी पुख्ता-सुंदर रखने में योगदान दें। इस मामले में धिराज-युगल माहिर हैं। दोनों की आम लोगों संग राजनेताओं में भी लोकप्रियता काफी है।

मुख्यमंत्री डॉ BVRC पुरुषोत्तम को भी धीरे-धीरे फिर से वापसी की डगर पर लाने की कोशिश में दिख रहे। उनको फिर से सहकारिता महकमा दिया गया है। वह पहले भी इस महकमे को संभाल चुके हैं। आए दिन पके आम सरीखे हेलीकाप्टर को गिरने से नाखुश CM ने आखिर आशीष चौहान को Uttarakhand Civil Aviation Authority (UCADA) के CEO की कमान सौंप दी।

आशीष की एक बेहतर और साफ छवि वाले प्रशासक के तौर पर ख्याति है। वह पौड़ी के DM थे। DMs के तबादलों में देखा जाए तो बहुत नपा-तुला कदम उठाया गया है। साफ जाहिर होता है कि मुख्यमंत्री ने सिर्फ अपनी सोच और इच्छा से Collectors के तबादले किए। पौड़ी की DM बनाई गईं साल-2012 Batch की स्वाति श्रीवास्तव भदौरिया बेहद कड़क और तेज-तर्रार प्रशासक हैं। प्रतीक जैन को रुद्रप्रयाग की अहम ज़िम्मेदारी बतौर DM सौंपी। वह युवा और ऊर्जावान हैं।

उत्तरकाशी के DM बनाए गए प्रशांत आर्य को उन नौकरशाहों में शुमार किया जाता है, जो काम के साथ बर्ताव से भी अवाम-कर्मचारियों का दिल जीतने की क्षमता रखते हैं। National Games आयोजन के दौरान उनका ठंडे दिमाग से बड़े-बड़े काम करना वाकई हैरान करता था। IAS (RR) मनीष सिंह को CM ने अपने निर्वाचन जिला चंपावत का DM बनाना पसंद किया।

प्रतीक-प्रशांत की तरह Collector के तौर पर First Timer मनीष को बेहद परिपक्व और Smart नौकरशाहों में समझा जाता है। वह पहली बार DM बने। Chief Secretary के पास आम तौर पर Additional Charge नहीं हुआ करते हैं। ACS रहने के दौरान से ही आनंदबर्द्धन के पास कुछ महकमे थे। उनको कुछ कम किया जाना स्वाभाविक है। मुमकिन है कि कुछ और ज़िम्मेदारी उनसे ले के उनको सिर्फ CS की भूमिका पर ही Focus करने के लिए मौका दिया जाए।

कल के फेरबदल में CM PSD ने दिखा दिया है कि उनके पास सियासी के साथ ही प्रशासनिक कौशल अपार है। वह सिर्फ अपने इर्द-गिर्द रहने वाले नवरत्न किस्म के नौकरशाहों के भरोसे नहीं रहते हैं। जो अच्छा Performance कामकाज से देंगे, उनको कमान (Leadership) मिलती रहेगी। ये भी दिखने लगा है कि अयोग्य-आलोकप्रिय और कामकाज में दिलचस्पी लेने या मेहनत से जी चुराने वालों के दिन अब शायद ही बहुरेंगे।

CM पुष्कर के बाबत ये राय ठोस हो चुकी है कि वह सुनते सभी की हैं और आखिर में फैसला जो खुद को ठीक लगता है, उसके मुताबिक पूरी समीक्षा अपने स्तर पर कर के लेना पसंद करते हैं। लगभग 2 साल से कुछ कम समय में होने वाले Assembly Election की कमान उनके कंधों पर ही रहनी है। ये तयशुदा है। वह इसी के मद्देनजर अब शासन-जिलों में तैनाती बहुत ठोंक-बजा कर करने और घोटालेबाजों-काम न करने वालों पर Strike करना शुरू कर चुके हैं।

मेहनती-काबिल और भरोसेमंद नौकरशाहों को ही वह अब तवज्जो देंगे। CMO (मुख्यमंत्री कार्यालय) में भी कुछ हिला-डुली दिख जाए तो ताज्जुब नहीं होगा। CMO के प्रमुख सचिव और बहुत Sharp समझे जाने वाले रमेश कुमार सुधांशु पर वह इन दिनों अधिक विश्वास करने लगे हैं। आने वाले दिनों में हो सकता है कि वह और शक्तिशाली हो के उभरे। प्रमुख सचिव R मीनाक्षी सुंदरम की भी भूमिका को अंदरखाने बढ़ाया जा सकता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button