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CM पुष्कर सिंह धामी!भ्रष्टाचारियों के लिए सबसे बेरहम-कठोरतम

The Corner View

Chetan Gurung

एक ऐसा युवक जो कभी राज्यमंत्री तो छोड़िए उप मंत्री भी न रहा हो। ये भी छोड़ो कभी किसी सरकारी महकमे का दायित्व तक न देखा हो। उसको अचानक एक दिन बेहद प्रतिकूल हालात में मुख्यमंत्री बना दिया जाता है। कोविड-19 का हाहाकारी-कातिलाना कहर चरम पर है। उसकी Party (BJP) जमीन से चिपक चुकी होती है। एक से एक फन्ने खाँ और बेहद अनुभवी-शातिर चेहरे पार्टी में हैं। इसके बावजूद PM नरेंद्र मोदी और HM अमित शाह को इस नौजवान में भरपूर संभावना नजर आती है। वे इस जोशीले-उत्साही और ऊर्जावान नौजवान पर दांव खेल जाते हैं। CM बना देते हैं। शायद उनको पक्का यकीन था कि पार्टी की तकदीर को यही नौजवान उत्तराखंड में चमका सकता है। देवभूमि की सियासत में नई उजली पटकथा-इतिहास लिखने की कुव्वत रखता है। दोनों को अपने फैसले पर आज निस्संदेह फख्र होगा। आखिर बुरे और खराब फैसले के लिए वे जिम्मेदार होते हैं तो अच्छे नतीजों का खाता भी उनके नाम ही खुलता है। पिथौरागढ़ की खूबसूरत-दुर्गम घाटी-वादियों से निकल के लखनऊ-खटीमा पहुंचे पुष्कर सिंह धामी आज न सिर्फ अपनी पार्टी के लिए कई मामलों में मिसाल और अनुकरणीय साबित हो रहे बल्कि दिल्ली की CM रेखा गुप्ता ने तीर्थ नगरी हरिद्वार में खुलेआम कहा,`भाई जी, आप जो फैसले उत्तराखंड में लागू करेंगे,मैं उनको अपने राज्य में लागू करूंगी’। मोदी-शाह और एक अन्य दिग्गज राजनाथ सिंह PSD के कामकाज की तारीफ इतनी बार कर चुके हैं, कि अब ये चौंकाता ही नहीं। विकास-पार्टी को मजबूत करने में पुष्कर ने जो किया वह देश के सामने है, लेकिन भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों पर उनके रूह फना कर डालने वाले तेवरों ने उनकी छवि-प्रतिष्ठा अब तक के सबसे बेरहम-कठोरतम मुख्यमंत्री के तौर पर स्थापित कर डाली है। अवाम यही तो चाहती है।

मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालते समय ज़्यादातर को लगता था कि पुष्कर की ये पारी बस उन तीरथ सिंह रावत से दुगुनी यानि 8 महीने की होगी, जिनको 4 महीने में ही पूर्व CM बना दिया गया था। जो त्रिवेन्द्र सिंह रावत के लगभग 4 साल की सरकार के 4 दिन बचे रहने पर अचानक मुख्यमंत्री बना दिए गए थे। पुष्कर को ले के ये अनुमान उत्तराखंड के राजनीतिक इतिहास को देखते हुए और BJP की उस वक्त की दुर्दशा को देखते हुए लगाया गया था। जो शायद ही किसी को गलत लग रहा था। यही वजह है कि कई शीर्ष नौकरशाहों (IAS-IPS-IFS) ने खुले आम या चुपके से पाला बदल के काँग्रेस का हाथ थाम लिया था। पुष्कर ने अपनी मेहनत और सियासी रणनीति-परिपक्वता का जबर्दस्त प्रदर्शन कर अपनी सीट (खटीमा गंवा दिया था) की कीमत पर BJP को फिर सत्ता में ला के नया इतिहास रचा।

उनको मोदी-शाह चुनावी जनसभाओं में खुल के CM के तौर पर पेश कर चुके थे। दोनों को मालूम था कि उनके नाम और रणनीति को भुनाना भी बहुत बड़ी चुनौती थी। ये हर किसी के वश का नहीं है। पुष्कर ने ये कर दिखाया। PM-HM ने भी वादा निभाया। तमाम सूबेदारों-क्षत्रपों को निराश कर फिर अगले 5 साल के लिए Fire साबित हुए पुष्कर को चुनाव गँवाने के बावजूद CM पद की शपथ दिला दी। दोनों को अच्छे से मालूम होगा और अधिकांश राजनीतिक समीक्षकों की ये राय होगी कि BJP शासित राज्यों में पुष्कर सरीखे अविवादित और सुलझे हुए मुख्यमंत्री की कमी है। विपक्ष को मित्र बनाने की कला उनके पास है। विकास के मामले हों या फिर आपदा राहत कार्यों-National Games-G-20 सरीखे बड़े आयोजन को अंजाम देना हो, वह खुद को झोंक डालते हैं। सिल्क्यारा Tunnel हादसे के दौरान उनका खुद मौके पर डेरा डाल के बैठ जाना लोगों को याद रहेगा। बाढ़ के दौरान वह खुद गाँव-गाँव-घर-घर पहुँचते रहे हैं।

पुष्कर ने समान नागरिक संहिता (UCC), नकल विरोधी कानून (प्रतियोगी परीक्षा),Land Law-धर्मांतरण कानून-Land जिहाद,खिलाड़ियों और महिलाओं-उत्तराखंड आंदोलनकारियों के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण और 3 साल के भीतर 23 हजार सरकारी नौकरियाँ दे के सरीखे फैसले ले के देश भर में सुर्खियां बटोरीं हैं। खुद मोदी-शाह ने UCC-नकल कानून को मील का पत्थर सरीखा माना। समाज और तंत्र को खोखला करने के लिए भ्रष्टाचार और इसके शातिर नौकरशाहों (IAS-PCS-IPS-IFS-पुलिस-तहसील-वित्त सेवा etc) को खास तौर पर जिम्मेदार समझा जाता है। कोई भी सरकार का यश और अपयश उन पर ही निर्भर रहता है। पुष्कर ने सीधा उन पर ही वार करने का फैसला किया। उनको ये मिथ तोड़ने या कमजोर करने का श्रेय दिया जा सकता है कि नौकरशाही और सियासतदां चोर-चोर मौसेरे भाई हैं या फिर एक ही सिक्के के 2 पहलू हैं।

दूसरी बार CM बनने के बाद PSD भ्रष्टाचार पर लगातार अधिक निर्मम नजर आए हैं। उनके प्रहार से IAS-IFS-PCS अफसर तक नहीं बच पा रहे हैं। Vigilance महकमे की कमान उन्होंने 1997 Batch के IPS V मुरुगेशन को थमा दी है, जिनकी छवि बेहद कड़क और साफ-सुथरी है। मुरुगेशन को मुख्यमंत्री ने Free Hand दिया हुआ है। भ्रष्टाचार का सफाया करो-यही उनको निर्देश है। इसी का वह पालन कर रहे। भ्रष्टाचारियों पर कभी Vigilance का शिकंजा कस रहा है तो कभी सीधे मुख्यमंत्री की हिदायत पर शासन स्तर पर जांच कर कार्रवाई बड़े-बड़े अफसरों पर हो रही। हरिद्वार नगर निगम Land Scam में DM करमेन्द्र सिंह-IAS (अपर सचिव स्तर) वरुण चौधरी और SDM (PCS) अजयवीर सिंह को Suspend कर दिए जाने के बाद नौकरशाही में खलबली का आलम और भ्रष्टाचारियों में खौफ पसर गया महसूस हो रहा है।

भ्रष्टाचार के खिलाफ जिस कदर बेरहमी से कार्रवाई पुष्कर सरकार में हो रही है, वह मिसाल है। ऐसा नहीं है कि जिन बड़े चेहरों और नामों पर सख्त कार्रवाई हुई है, उनके कोई रहनुमा सरकार और सियासत में नहीं हैं। ऐसा पहली बार हो रहा है कि रहनुमा अपने शागिर्दों को बचाने की कोशिश करने के बजाए खुद को ही बचाने की जुगत में हैं। हरिद्वार का DM कोई नामालूम सा या फिर बिना पकड़ वाला शायद ही बन सके लेकिन CM पुष्कर का जब सुदर्शन चक्र चला तो करमेन्द्र-वरुण-अजयवीर की पैरवी में एक भी शख्स की हिम्मत सामने आने की नहीं हो रही। अपनी गर्दन भी जाने का भय उनको भी है। पुष्कर भ्रष्टाचार के सफाए के लिए जो जंग लड़ रहे, वैसा जिगरा उत्तराखंड के किसी भी CM ने नहीं दिखाई। वह भ्रष्टाचारियों के लिए अब तक के सबसे बेरहम-कठोरतम मुख्यमंत्री साबित हो रहे।

खास पहलू ये है की PSD दबाव में नहीं आते हैं। इसकी वजह उन पर मोदी-शाह का अद्भुत विश्वास समझा जा सकता है। दक्षिण अफ्रीका वाले कुख्यात गुप्ता बंधुओं में एक (अजय गुप्ता) को उन्होंने देहरादून में Builder बाबा साहनी की आत्महत्या में कोई राहत लेने का मौका दिए बिना सुद्धोंवाला जेल में ठूंस डाला। जाने-माने Builder और उद्योगपति सुधीर विंडलास आखिरकार CBI के फंदे में आए लेकिन उनको भी इससे पहले राज्य सरकार से एक लाल पैसे की फौरी राहत नहीं मिली। विंडलास की सियासी पकड़ से कोई भी अंजान नहीं है। पौड़ी के बहुचर्चित अंकिता भण्डारी हत्याकांड में पुलकित आर्य का BJP Background काम नहीं आया। मुख्यमंत्री की सख्त हिदायत के चलते पुलिस ने जम के काम किया और उसको अन्य दो आरोपियों के साथ उम्र कैद हुई।

पुष्कर को मालूम है कि अवाम के लिए क्या फैसले फायदेमंद हैं और वे किस किस्म के फैसलों में सरकार का साथ देती है। ये भी कि नौकरशाही किस कदर लुटिया डुबो सकती है और किस तरह सरकार को चमका सकती है। ND तिवारी के दौर में एक से एक बड़े और ऐतिहासिक घोटाले हुए। SIIDCUL (तब SIDCUL) Scam-1, पौड़ी पटवारी भर्ती और दारोगा भर्ती-आयुर्वेदिक भर्ती घोटाला उनके दौर में हुए। मैं तब `अमर उजाला’ में था। इन सभी पर खूब Computer Key Board पीटे। पौड़ी के उस समय के DM SK लांबा और CDO कुँवर राजकुमार-SDM विनोद चन्द्र सिंह रावत Suspend हुए थे। कार्रवाई का सामना करते वक्त लांबा Retirement के मुहाने पर थे। लिहाजा उनका खास नुक्सान नहीं हुआ। उन्होंने मुझे Retire होने के बाद उस जमाने में 1 करोड़ रूपये की मानहानि का Notice भेजा था। उनकी दलील थी कि पौड़ी पटवारी भर्ती घोटाले की खबर मैंने किन्हीं नौकरशाह के इशारे पर लिखी थीं। बहरहाल, मेरी उनसे फोन पर कुछ बचे सुबूतों-प्रमाणों के साथ बात हुई। वह खामोश बैठ गए। PCS राजकुमार को बाद में IAS Cadre मिल गया।

दारोगा भर्ती घोटाले में IG राकेश मित्तल को Suspend करना सरकार की मजबूरी हो गई थी। DGP प्रेमदत्त रतूडी हटा दिए गए थे। उनकी जगह कंचन चौधरी भट्टाचार्य को DGP बनाया गया था। किरण बेदी पहली महिला IPS अफसर थीं तो कंचन देश की पहली महिला DGP..कंचन को CM NDT ढंग से पहचानते तक नहीं थे। PDR को हटाना मजबूरी हो गई तो उस वक्त के प्रमुख सचिव (गृह-राजस्व) सुरजीत किशोर दास उनको अपने साथ मुख्यमंत्री के पास ले गए थे कि इनको DGP बनाया जा सकता है। आज ये सब सोच के भी हैरानी होगी। तब ऐसा ही होता था। आज दास-कंचन मरहूम हो हो चुके हैं। SIIDCUL घोटाले में कई IAS अफसरों की भूमिका उभर के आई थीं। सरकार बदली और BJP के BC खंडूड़ी सरकार साल-2007 में आई। जांच आयोग बैठा। इतिहास गवाह है कि एक चूहा भी फंदे में नहीं आया। सारे तथ्यों-प्रमाणों और आयोग को बार-बार Extension दिए जाने के बाद। NDT की सरकार में DM-DGP-IGP के खिलाफ Action और मौजूदा सरकार के Action में बड़ा फर्क है। तब सरकार ने Action अखबारों में खबरों के छापने और खुलासों के बाद लिया। आज सरकार खुद ही आगे बढ़ के Action ले चुकी होती है। पत्रकारों-अखबारों-New Channels को बाद में मालूम चल रहा है।

बाद की सरकारों में किसी ने भी फिर इस कदर सिलसिलेवार सख्त Action कम ही लिया। SIIDCUL Scam-2 का खुलासा भी मैंने पूरी जांच रिपोर्ट छाप के किया था। जांच अधिकारी तब कुमायूं मण्डल के आयुक्त सेंथिल पांडियन थे। सेंथिल इन दिनों भारत सरकार में Deputation पर हैं। इस कांड में कई IAS-PCS नपे। अधिकांश बच चुके हैं। कई अभी भी सेवा में हैं। छिटपुट कार्रवाई पुष्कर से पहले की सरकारें भ्रष्टाचार पर करती रहीं लेकिन उतने भर से उस वक्त के मुख्यमंत्रियों को Scale पर काफी ऊंचा नहीं रखा जा सकता है। पुष्कर खास तौर पर भ्रष्टाचार को ज़मींदोज़ करने या कम करने के लिए जो कर रहे हैं, उसका नतीजा दिखेगा जरूरी।

एक सियासी कोण पर भी बात की जा सकती है। मुख्यमंत्री की शपथ जिस दिन पहली बार ली थी, उसी दिन से कहा जा रहा है कि पुष्कर की पारी बहुत छोटी होगी। आज 4 साल हो गए। मोदी-शाह Smart और बहुत समझदार हैं। कौन विश्वासपात्र-विश्वसनीय और लायक-ना-लायक है। अच्छी तरह जानते हैं। पुष्कर उनकी हर कसौटी से आगे जा के खरे उतरते जा रहे। आगे आप खुद सोच लें..ऐसे में कोई भी नेतृत्व क्या कदम उठाएगा!

 

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