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Big Story:`आनंदम’ नहीं शर्मम!!Restaurant-Sweet Shop के महिला बाथरूम में अश्लील Recording!देहरादून-उत्तराखंड पर दाग लगा दिया:सो रहे थे मालिकान!ये कैसा प्रबंधन-कैसी जिम्मेदारी:महिलाओं की निजता पर ऐसी बेखबरी जघन्य कृत्य!

दबाव में किसी छोटे-गरीब को न फंसाया जाए-बड़ी मछलियाँ न बच जाएं

ChetanGurung

`आनंदम’ रेस्तरां और Sweet Shop के महिला बाथरूम में Camera लगाए या पाए जाने के मामले ने देवभूमि-राजधानी देहरादून को भी शर्मसार कर डाला.दुनिया-देश में प्रतिष्ठित शहर के लिए इससे बड़ी शर्मिंदगी नहीं हो सकती.ताज्जुब ये है कि इस मामले में रेस्तरां-मिठाई शॉप मालिक एक किस्म से पल्ला झाड़ रहे हैं.सवाल ये है कि क्या वे सो रहे थे?उनको कैसे भनक नहीं लगी कि उनके महिला Toilet में महिलाओं की इज्जत से खिलवाड़ हो रहा.वे अपनी जिम्मेदारी से न तो बच सकते हैं न ही जुर्म में परोक्ष भागीदारी से इनकार कर सकते हैं.पुलिस सख्ती से जांच करे तो कई सनसनीखेज खुलासे मुमकिन हैं.

चंद सालों में ही छोटी से Gupta Sweets से मिठाई और खाने-पीने के धंधे में उतरे-फिर चमके `आनंदम’ के राजपुर रोड (होटल Meedo Grand के सामने) और चकराता रोड (Golds Gym वाली इमारत में) के साथ ही कई स्थानों पर स्वीट शॉप या रेस्तरां कहे, हैं.सभी खूब चलती हैं.शहर में आज भी भले सबसे बड़ा और सबसे प्रतिष्ठित नाम दशकों पुराना Kumar Sweet Shop (MDDA Complex-धारा पुलिस चौकी के सामने) है. आनंदम ने मिठाई के बाजार में काफी हद तक पाँव पसार लिए हैं.इस नए-नए उभरे `आनंदम’ के महिला Toilet में छिपा कैमरा पाए जाने या फिर पुलिस के मुताबिक मोबाइल फोन छिपा के रखने का हैरत अंगेज-शर्मनाक मामला सामने आने से शहर और उत्तराखंड की भी छवि-प्रतिष्ठा पर गहरा काला दाग लगा है.ये बात दीगर है कि आनंदम की मिठाइयों की गुणवत्ता को ले के कई बार शिकायतें सामने आती रही हैं.

मालिकों को अगर ये मालूम नहीं था कि कई हफ़्तों से महिला Toilet में फॉल सीलिंग उधड़ी हुई है, तो ऐसा रेस्तरां या मिठाई की दुकान का मालिक खुद की शॉप पर किसी भी कीमत पर फख्र महसूस नहीं कर सकता है.ये पुलिस और शायद दुकान प्रबंधन की पहले नजर की दलील है कि मोबाइल फोन आउटसोर्स सफाई कर्मचारी ने फिट किया था.इसमें खूब झोल है.आज के दौर में ऐसा कौन शख्स है,जो सेकंड भर के लिए भी मोबाइल फोन अपने साथ न रखे.ये भी सवाल उठता है कि आखिर मोबाइल फोन सफाई कर्मचारी काफी समय तक कैसे बाथरूम में रख सकता है.फिर जिस खांचे में फोन रखा जाता था, उसकी ऊंचाई कितनी है और इतना भारी फोन चालू हालत (Recording के लिए) में कैसे फिट रखने की सोची जा सकती है.

इतने समय से फोन को रिकार्डिंग के लिए फिट किया जाता रहा तो बीसियों कर्मचारियों वाले रेस्तरां प्रबंधन को क्यों इसकी ज़रा सी भी भनक नहीं लग पाई?सबसे बड़ा सवाल ये कि क्या एक सफाई कर्मचारी इतना बड़ा दुस्साहस कर सकता है!फॉल सीलिंग टूटी हुई थी तो मालिक क्या देख रहे थे?उनको इसके बाबत कुछ मालूम नहीं था या ग्राहकों की निजता से उनको कोई वास्ता नहीं था.शहर में सबसे महँगी मिठाई और खाने-पीने का सामान बेचने वाले रेस्तरां-मिठाई शॉप प्रबंधन ने लापरवाही दिखाई या फिर उसकी भी मिली भगत ख़ुफ़िया रिकॉर्डिंग मामले में किसी न किसी किस्म से है!इन सवालों की अनदेखी नहीं की जा सकती है.

पुलिस पूछताछ में सख्ती हुई तो शायद खुलासा हो.देहरादून और देवभूमि का नाम इसलिए और ज्यादा खराब हो गया कि जिस महिला ने इस छिपे कैमरे को देखा और पकड़ा, वह दिल्ली से आई हैं.ये भी देखना होगा कि किसी बड़े चेहरे और नाम को बचाने के लिए किसी छोटे और कमजोर कर्मचारी या शख्स को फंसा न दिया जाए.या फिर लोभ दे के आरोप अपने ऊपर लेने के लिए मना लिया जाए.ये तो साफ हो गया कि रेस्तरां स्वामी-प्रबंधन अपने ग्राहकों की निजता (privacy) के मामले में आला दर्जे के लापरवाह हैं.ऐसा न होता तो ये काण्ड न होता.इस घिनौने काण्ड के खुलासे ने उन महिलाओं को बेशक बेचैन और घबराहट में डाल दिया होगा,जो कभी आनंदम मिठाई खरीदने या कुछ खाने गए और वहां की टॉयलेट का इस्तेमाल भी किया.

`आनंदम’ के टॉयलेट में रिकॉर्ड एक भी Video क्लिप किसी भी तरह सामने आती है तो इसके लिए प्रबंधन जिम्मेदारी से बच नहीं सकता है.अभी तक वह खुद को इस मामले में एक किस्म से पूरी तरह पाक-साफ़ होने का दावा कर रहा है.याद रहे कि मिठाइयां और अन्य सामग्री कर्मचारी ही बनाते हैं.नाम और श्रेय मालिक लूटते हैं.वही कर्मचारी अगर कुछ इस किस्म का उलटा-गैर कानूनी और महिलाओं की अस्मत से खिलवाड़ का जुर्म करते हैं तो मालिक यहाँ जुर्म आया आरोप का भागीदार क्यों न हो?यहाँ भी उसको जिम्मेदारी लेनी ही होगी.अभी ये भी साफ़ होना है कि कितनी Video बनाई जा चुकी है और किन-किन की बनी.उनको कहाँ-कहाँ Circulate किया गया है.

देहरादून के Police Captain (SSP) अजय सिंह ने कहा है कि मामले की जांच गंभीरता से की जाएगी.एक कर्मचारी हिरासत में ले के उसके फोन को जब्त कर फोरेंसिक लैब में भेजा जा रहा.ताज्जुब ये है कि फोन में कोई क्लिप नहीं पाए जाने और सभी रिकार्डिंग Delete कर दिए जाने के तर्क दिए जा रहे.फोन छिपा के रखे होने का खुलासा और बवाल होने के बावजूद इतनी जल्दी कोई कैसे फोन से क्लिप डिलीट कर सकता है?क्या किसी ने कर्मचारी को फटाफट फोन सौंप दिया था?नहीं सौंपा तो फिर कैसे Video डिलीट कर दिए गए?बहुत सारे और बहुत बड़े-बड़े सवाल सभी के दिमाग में कौंध रहे..देखें पुलिस क्या करती है.

 

 

 

 

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