
Chetan Gurung
Scientists-Professors-Engineers-Doctors तैयार करने वाली Graphic Era University में कलाकारों ने उत्तराखंड की लोक संस्कृति और समृद्ध पारंपरिक मूल्यों पर आधारित गढ़वाली रामलीला का भव्य मंचन कर वातावरण को राम भक्ति से भर डाला। रामलीला भक्ति, लोक धुनों और गढ़वाली बोली की मिठास से सराबोर रहा। लोगों ने इसका उत्साह पूर्वक पूरा रस लिया।
GEGI Chief डॉ कमल घनशाला (मध्य) ने कुलानन्द घनशाला की किताब का विमोचन किया
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मंचन के दौरान हर दृश्य ने आस्था, संस्कृति और नाट्यकला का अनोखा संगम प्रस्तुत किया। विवि के Silver Jubilee Convention Centre में हुए मंचन के सूत्रधार मदन मोहन डुकलान और उनकी सहधर्मिणी के किरदार में सोनिया गैरोला ने रामायण के विभिन्न प्रसंगों की रोचक प्रस्तुति से गज़ब का समां बांधा। दो दृश्यों के बीच दर्शकों को इंतजार नहीं करना पड़ा। नई तकनीकों के सधे हुए उपयोग ने रामलीला मंचन को बेहद सजीव बना डाला।
इस मौके पर Graphic Era Group of Institutions के Chairman डॉ. कमल घनशाला का उत्तराखंड की लोकसंस्कृति को प्रोत्साहन देने के लिए अभिनंदन किया गया। गढ़वाली रामलीला के निर्देशक, संयोजक व लोक कलाकार कुलानंद घनशाला ने कहा कि इस रामलीला की शुरुआत डॉ कमल घनशाला की लोक परम्पराओं को संरक्षण और प्रोत्साहन के कारण संभव हुई है। डॉ घनशाला ने आधुनिक जगत और संस्कृति के अद्भुत संगम का उदाहरण प्रस्तुत किया।
GEGI के प्रमुख डॉ कमल घनशाला ने कहा कि रामलीला की सदियों पुरानी कहानी ऐसी प्रस्तुतियों से हर बार बहुत रोचक ढंग से अपने कर्तव्यों के पालन की प्रेरणा देती है। आज के दौर में यह प्रेरणा और अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। रामलीला के आदर्श अपनाए जाएँ तो देश और समाज की बहुत सी विसंगतियों और चुनौतियों का समाधान संभव है।
आज गढ़वाली रामलीला की शुरुआत राजा दशरथ के तीर से श्रवण के प्राण हर लिए जाने की लीला के साथ हुई। भावुक कर देने वाले कई दृश्यों के साथ यह लीला रामजन्म से होते हुए ताड़का वध, सीता स्वयंवर, मंथरा द्वारा कैकई को राजा दशरथ से अपने वचन पूरे कराने के लिए तैयार करने, राम वनवास, सीता हरण और शबरी प्रसंग के साथ आगे बढ़ी।
हनुमान से भेंट, सीता की खोज, राम-रावण युद्ध और रावण वध ने मंचन को चरम पर पहुँचा दिया। अंत में अयोध्या में श्रीराम का राज्याभिषेक हुआ। उस वक्त सभागार दर्शकों के जयघोष और उमंग से गुंजायमान हो उठा। श्रवण को राजा दशरथ का बाण लगने, वियोग में उनके माता पिता के देह छोड़ने और सीता की जनकपुरी से विदाई समेत कई दृश्य इतने सजीव और भावुक बना देने वाले थे कि अनेक दर्शकों की आंखें भर आईं। वे आंसुओं को थाम नहीं पाए।
रामलीला में भगवान राम के रूप में आयुष रावत, सीता के रूप में अनुप्रिया सुन्दरियाल, लक्ष्मण के रूप में आलोक सुन्दरियाल, भरत की भूमिका में गौरव रतूड़ी, शत्रुघन के रूप में हर्ष पांडे, हनुमान के किरदार में मुकेश हटवाल, शूर्पणखा के रूप में तानिया चौहान, कुंभकरण के रूप में नंदकिशोर त्रिपाठी, मेघनाथ बने कार्तिक मैखुरी, विभीषण के किरदार में विजय सिंह रावत और रावण की सशक्त भूमिका में दिनेश सिंह भंडारी ने अपने उत्कृष्ट अभिनय की गहरी छाप छोड़ी।
रामलीला का आयोजन ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी और हिमालय लोक साहित्य एवं संस्कृति विकास ट्रस्ट ने किया। कार्यक्रम में ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. नरपिंदर सिंह, प्रो-VC डॉ. संतोष S सर्राफ, कुलसचिव डॉ. नरेश कुमार शर्मा, डीन ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स डॉ. DR गंगोडकर भी मौजूद रहे। रामलीला के निर्देशक कुलानंद घनशाला की पुस्तक का डॉ कमल घनशाला ने विमोचन भी किया। डॉ गिरीश लखेड़ा ने किया।