कातिल कुदरत और बेखौफ लड़ने वाला हिम्मती-हौसले-जज्बे से भरा मुख्यमंत्री:Phantom बन Ground Zero पर पहुँच रहे:नौकरशाहों के लश्कर को झोंका
The Corner View

Chetan Gurung
आम तौर पर बेहद सुरक्षित समझे जाने वाला देहरादून भी इस बार कुदरत के कोप और उसके कातिलाना कहर का शिकार हो गया। मूसलाधार-जानलेवा बारिश ने एक ही दिन में 20 के करीब लोगों की जिंदगी दर्दनाक ढंग से छीन ली। लापताओं की भी तादाद ख़ासी है। कई लोग बेघर-बर्बाद हो गए। जाते हुए Monsoon ने देवभूमि की राजधानी को जमीनी तौर पर कम से कम 2 दिशाओं से देश के अन्य हिस्सों से जुदा कर डाला। पीछे-पीछे चमोली में भी फिर कहर-2 की वापसी हो गई.बारिश का बादल फटने के अंदाज में बरसना लोगों की जिंदगी को खतरे में डाल रहा। व्यापक नजरिए में देखें तो इस बार हादसों और आसमान कहर ने उत्तराखंड के तमाम प्रमुख हिस्सों को तबाह करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अब तो सरकार क्या पर्यावरण भूगर्भशास्त्री भी हैरान होने लगे हैं कि उत्तराखंड में आखिर हो क्या रहा। जहां बड़े-विध्वंसक समझे जाने वाले निर्माण कार्य भी नहीं हुए, वे भी दैवीय आपदा की चपेट में आ रहे। अब कारणों की नए सिरे से विवेचना-समीक्षा का Platform तैयार हो चुका है। इस किस्म के हालात में आम तौर पर सरकार और उसके मुखिया को निशाने पर लेना सबसे आसान रहता है। इसलिए कि संवैधानिक और नैतिक तौर पर वे हर अच्छे-बुरे के लिए जिम्मेदार हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस बार अलबत्ता,आलोचनाओं से इतर सोचने के लिए मजबूर किया है। मेघों से झरते कहर को रोकने का ईलाज किसी भी हकीम के पास नहीं है। चाहे वह लुक़मान परंपरा का ही क्यों न हो। PSD ने लेकिन फिर दिखाया कि क्यों युवा और उत्साही-समझदार नेतृत्व की पैरवी आज के दौर में खास तौर पर की जाती है। जहां भी अवाम संकट में नजर आया और सरकार की दरकार महसूस हुई, वह बिना एक पल गँवाए पहुंचे। शासन और जिलों के अफसरों को भी सोने नहीं दिया। अपने साथ रात-दिन अभी भी झोंके हुए हैं।
JCB पर चढ़ के आपदा का जायजा लेने मौके पर पहुँच गए CM पुष्कर सिंह धामी
देहरादून को उसकी अनेक खासियतों मसलन,आज भी यहाँ कई शहरों से अधिक हरियाली, इसकी Smartness-IMA-RIMC-FRI-ICFRE-LBSNAA-SOI-जगह-जगह मौजूद खूबसूरत वादियों-शिवालिक पर्वत शृंखला,एक तरफ गंगा और दूसरी तरफ यमुना, ऐतिहासिक तमसा (Tons) नदियों, Retired और नए-पुराने रईसों की शीर्ष पसंद बन के उभरने-बढ़ती फिल्म Shootings के लिए प्रमुख Destination बनने, The Doon School-Welham Girls-Col Brown-Woodstock-MIS Schools के चलते देश और दुनिया में बहुत सम्मान और नाम मिलता रहा है। इस पर इस बार Monsoon की कातिल बारिश ने बहुत बड़ा दाग लगा दिया। जिनको उत्तराखंड और देहरादून के भूगोल के बारे में खास नहीं मालूम और बाहर रहते हैं, उनको यहाँ बसे अपने मित्रों-रिश्तेदारों और अन्य के बारे में फिक्र होना स्वाभाविक है। मेरे कई दोस्त, उत्तरकाशी और केदारनाथ में हेलीकाप्टर हादसा होने पर भी मुझे फोन कर के मेरी खैरियत पूछते हैं। मैं उनका बहुत शुक्रगुजार हूँ.मैं ये सब इसलिए बोल रहा हूँ कि अब तक उत्तराखंड में पहाड़ों को ही बादल फटने और भू-स्खलन का दंश सहना पड़ता था।
मेरे होश संभालने के बाद ये पहला मौका है, जब बासमती-लीची-चूना-चाय के लिए गुजरी सदी के शुरुआती दिनों में अधिक ख्याति अर्जित करने वाले देहरादून में इस किस्म से मौत का कारवां चल पड़ा हो। मैं राजभवन-मुख्यमंत्री आवास से काफी करीब सेना की छावनी के Civilians इलाके में रहता हूँ। गुरु द्रोणाचार्य ने जिस गुफा (आज उसको टपकेश्वर महादेव मंदिर कहते हैं और वहाँ शिवलिंग है) में साधना की थी, वह भी छावनी क्षेत्र में है। वहाँ तक तमसा नदी (Tons) का पानी घुस आना और किनारे से सटे मंदिरों को भी ध्वस्त करना, पहली बार देखा है। 16 सितंबर की आधी रात से ही मौत की बारिश शुरू हुई और तबाही ढा दी। सेना की बैरकों से सटे और मसूरी-हाथी पाँव पर्यटन स्थल-कई प्रमुख होटल-Resorts जाने वाली इकलौती सड़क को टोंस नदी अपने साथ ले गई। बिजली के तमाम खंबे-Lines भी ध्वस्त हो गईं। मेरे घर-इलाके (डाकरा-गढ़ी कैंट) में आज तीन दिन बाद बिजली आई। सेना की अलग बिजली व्यवस्था है। इसलिए वहाँ कोई दिक्कत नहीं थी। बिजली नहीं थी तो पीने का पानी भी खरीदना पड़ा। Invertor तो कुछ घंटे बाद ही शहीद हो गया था। ऐसा लगा मानो 35-40 साल पहले के ढिबरी-मोमबत्ती के दौर में पहुँच गए। दुकानों में बड़ी मोमबत्तियाँ गायब हो गई थीं।
जिस रात मेघ से झरते सहस्त्र बूंदों ने मौत और कहर का रूप अख़्तियार किया, वह मुख्यमंत्री पुष्कर का जन्मदिन (16 सितंबर) था। आम तौर पर इतने बड़ी और शक्तिशाली राजनीतिक हस्ती के जन्मदिन को धूमधाम से मनाया जाता रहा है। आपदा आने से पहले ही PSD ने अपील जारी कर दी थी कि उनके जन्म दिवस पर कोई आयोजन-समारोह और जश्न न हो। वाकई खुद CM के पास अपने जन्मदिन पर सांस लेने की भी फुर्सत नहीं थी। उस रात मेघ ऐसे बरसे मानो उसके लिए कोख में सदियों से जमा पानी को अब संभाल पाना ना-मुमकिन हो गया है। मुझे बड़े-बड़े अफसरों ने बताया कि उनको पहले ही सरकार के मुखिया की तरफ से Extra Alert रहने और किसी किस्म का संकट आने पर फौरन मौके पर राहत-मदद के लिए पहुँचने के आदेश थे। DM सविन बंसल को उनके कम बोलने,सख्त तेवरों-नाहक आरोपों से दूर रहने और झटपट फैसलों से लोगों को राहत दिलाने के लिए पहचाना जाता है। उनके और मसूरी विधानसभा सीट से MLA और सरकार में मंत्री गणेश जोशी से जुड़े 3 Videos खूब viral हो रहे। उनमें जोशी को ये कहते देखा जा सकता है कि अपने रंग-ढंग सुधार ले। सामने तब DM और SSP अजय सिंह थे। दोनों आपदाग्रस्त इलाके से अन्य स्थानों का रुख कर रहे थे। मंत्री जा रहे थे।
लोगों की मदद के लिए मंत्री और अफसर दोनों लगे हुए हैं लेकिन 2 बार के मंत्री के बात करने के अंदाज को अधिकांश ने बहुत खराब माना। मंत्री नाराज थे कि सविन ने उनका फोन नहीं उठाया। मुख्य सचिव-Commissioner-SDM ने उठाया। अंदरखाने इसकी जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक सविन लगातार आधी रात से दौरे पर अलग-अलग जगह थे। अपने अफसरों को निर्देश दे रहे थे और मदद-राहत में व्यस्त थे। उसी दिन कुछ देर बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला की भी आगवानी करने Jolly Grant Airport जाना था। रात एक बजे ही उन्होंने Lady SDM को आपदा ग्रस्त इलाके में भेजा हुआ था। CM को लगातार Update कर रहे थे। मंत्री और DM के अलग-अलग चरित्र-कार्यशैली से विवाद भड़का। सविन को यूं भी जी-हुज़ूरी और Lobbying से दूर रहने वाले की प्रतिष्ठा हासिल है। मुख्यमंत्री तक दोनों तरफ से बातें पहुंची। उन्होंने इसको फिजूल सरीखा मान के मंत्री-DM को मदद-राहत में ही जुटे रहने की हिदायत देने को तवज्जो दी।
उत्तराखंड ने पहले भी कई मुख्यमंत्री Silver Jubilee मनाते-मनाते देख लिए हैं। इसमें कोई भी बाजी लगा सकता है कि PSD सरीखा ऊर्जावान-तूफानी-360 Degree देखने वाला-हरफनमौला इनमें से कोई नहीं रहा। पुष्कर पर कई खूबियों के लिए सुर्खियां बरस रही। नकल कानून के जरिये सरकारी नौकरियों में भर्तियों की धांधली खत्म करने,धर्मांतरण-UCC-Land Law लागू करने,IAS समेत तमाम भ्रष्ट अफसरों को जेल भेजने-National Games सरीखे बहुत बड़े आयोजन-Global Investors Summit के जरिये लाखों करोड़ का निवेश लाने के लिए उनको बतौर कुशल प्रशासक शीर्ष दर्जा मिल रहा है। BJP को लस्त-पस्त और Covid-19 महामारी के चंगुल में फंसे होने के बावजूद विधानसभा चुनाव में लगातार दूसरे बार विजयी बना के सरकार में लाए। तकरीबन हर छोटे-बड़े Elections में फतह का तोहफा PM नरेंद्र मोदी-HM अमित शाह को नजर करने के लिए भी उतनी ही शिद्दत से उनको जाना जाता है। वह पार्टी के लिए पारस पत्थर का काम करते रहे हैं। लोकसभा-विधानसभा चुनावों में जिन सीटों पर उन्होंने विपरीत हालात के बावजूद प्रचार किया, उनमें से अधिकांश में कमल खिल उठा। कारण चाहे मोदी-हिदुत्व या कुछ अन्य रहे हों।
जाहिर है कि पुष्कर को चुनाव जीतने का गुर बाखूबी आता है। मोदी-शाह को और क्या चाहिए! उनका जन्मदिन भले आपदा के मारों की मदद और राहत में गुजरा। वह जितनों की जिंदगी बचा सके या अधिक से अधिक मदद कर सके, वही उनके लिए जन्मदिन का सबसे बड़ा तोहफा रहा। उस दिन उनको अल्लस्सुबह Track Suit में अफसरों के साथ आपदाग्रस्त इलाकों का दौरा करते, JCB पर चढ़ के हालात का जायजा लेते और पीड़ितों से मिलते-उनका हौसला बढ़ाते सभी ने देखा। कुछ देर बाद वह हरिद्वार में विवि के आयोजन में लोकसभा Speaker के साथ रहे। फिर वापिस आपदा पीड़ितों की मदद के लिए कभी आपदा नियंत्रण कक्ष तो कभी Ground Zero पर नजर आए। जन्मदिन की रात मैं भी उनसे मिला था। लगातार भारी व्यस्तता और तनाव के बावजूद वह खुद को शुभकामना देने आए लोगों से पूरी ऊर्जा और प्रेम भाव से मिलते दिखे। रात को ही आपदा नियंत्रण केंद्र रवाना हो गए। देहरादून अभी आपदा की बड़ी मार से जूझ ही रहा है और आज चमोली में फिर बादल फट पड़ा।
PSD को सिल्क्यारा Tunnel में श्रमिकों के फंस जाने के दौरान उनके सुरक्षित बाहर निकाले जाने तक वहीं डट के Rescue Operation की कमान संभालने को लोग याद रखते हैं। हाल ही में उत्तरकाशी के धराली-फिर पौड़ी और चमोली में आपदा आने पर भी जोखिम के बावजूद CM लोगों के बीच जा पहुंचे थे। उनको हर किस्म की मदद-राहत देने की कमान संभाली। PSD और उनके मंत्री-अफसरों के लश्कर की भूमिका प्राकृतिक प्रकोप से युद्ध के दौरान वाकई काबिले तारीफ चल रही। हमारे इलाके में बिजली गई तो उसको फिर बहाल करने के लिए नीचे से ले के ऊपर तक के Engineer-श्रमिक रात भर घट्टे खोला में बिजली के नए खंबे लगाने-नए तार खींचने में डटे रहे। Superintending Engineer मधवाल को घड़े बनाने वाली जहरीली मक्खी ने बुरी तरह डंक मारा। अस्पताल में Emergency में भर्ती हुए। फिर कुछ घंटे बाद जंगल-घट्टेखोला में फिर जा पहुंचे। आधी रात-तड़के भी वह Progress Report देते रहे। बिजली जल्द लाने का वादा करते रहे। मुख्यमंत्री पुष्कर के लिए ये कहा जा सकता है कि जिंदगी की Half Century पूरे होने का जश्न आम लोगों की जिंदगी बचाने और उनको उम्मीदों का सूर्य दिखाने से बड़ा नहीं हो सकता। मोदी-शाह से सज्जित पार्टी आला कमान के लिए इसी लिए वह विकल्पहीन समझे जाते हैं।