गुजरात Formula से मंत्रियों के होश फाख्ता-बेचैन!CM पुष्कर के Good Books में जगह पाने को बेताब मंत्री बनने के ख़्वाहिशमंद MLAs:नई Cabinet बनी तो मुख्यमंत्री की पसंद की झलक दिखना तय:कुछ मंत्रियों से पिंड छुटता है तो BJP High Command को भी मिलेगा सुकून!

Chetan Gurung
PM नरेंद्र मोदी-HM अमित शाह ने अपने गृह राज्य (गुजरात) में CM छोड़ पूरी Cabinet से इस्तीफा करा लिया। अब जिसको मंत्री फिर बनाना होगा, उनको बना लेंगे लेकिन नए चेहरों को नए Council of Ministers में जगह मिलने के आसार अधिक है। ये Formula उत्तराखंड में भी अमल में आने की संभावना के मद्देनजर Pushkar Cabinet के मंत्रियों के होश फाख्ता हैं या फिर बेहद बेहद बेचैन। उनका Blood Pressure जांचा जाए तो शायद बढ़ा हुआ मिल सकता है। MLAs की जरूर उम्मीदें परवान चढ़ गई हैं। मंत्रिमंडल में फेरबदल या फिर Expansion का झुरमुट लगातार घना होने से PSD की दहलीज में उनकी बढ़ती तादाद के पीछे ये बड़ी वजह समझी जा रही। नया मंत्रिमंडल बनेगा तो उसमें मुख्यमंत्री की पसंद की झलक दिखना लाजिमी होगा। कुछ मंत्रियों से पिंड छुटना मोदी-शाह-आला कमान को सुकून देगा।
उत्तराखंड में लंबे समय से और कई बार ये शोर और गुबार उठता रहा है कि कुछ मंत्रियों की छुट्टी मुमकिन है। कुछ नए चेहरे उनकी जगह लाए जा सकते हैं। खाली कुर्सियों को भरा जाएगा। माने ये कि MLAs के लिए आशाओं के बादलों का परवान चढ़ना स्वाभाविक है। जो मंत्री हैं, उनको बुखार चढ़ना भी हैरान नहीं करेगा। अधिकांश मंत्रियों की दशा या फिर दुर्दशा का आलम ये है कि हर मोर्चे पर और उनके महकमों से जुड़े झंझटों-संकटों और मुद्दों को भी CM पुष्कर को ही झेलना पड़ता है या फिर अभी भी पड़ रहा है।
महकमों से जुड़े मसले हों या फिर पहाड़ों-जिलों में आपदा का कहर,मंत्रियों का अता-पता नहीं दिखता है। वे तभी हरकत में नजर आते हैं, जब मुख्यमंत्री उनके यहाँ जा पहुँचते हैं या फिर दखल देते-दिलचस्पी दिखाते हैं। कुछ मंत्रियों से उनके सचिव बहुत परेशान हैं। एक सचिव के मुताबिक मंत्रियों की मनमानी और नजर अंदाजी सरकारी कामकाज को सुस्त बना रही है। उनका ये बयान इसके उलट है कि सरकार में नौकरशाही हावी है। मंत्री के साथ ही उनके भरोसेमंद Staff (निजी सचिव किस्म के) भी मंत्रालयों-महकमों को हांक रहे हैं।
कई मंत्री ऐसे हैं, जिनके बारे में समझा जाता है कि वे सरकार के लिए सिरदर्द के अलावा कुछ नहीं हैं। मुख्यमंत्री की खासियत है कि वह मंत्रियों के कामकाज में दखल से अधिकांश मौकों पर बचना पसंद करते हैं। मंत्रियों को वह Free Hand दिए हुए हैं। इसका नाजायज फायदा मंत्री उठा रहे हैं। विपक्षी दलों-Media-संस्थाओं और लोगों के हमले मुख्यमंत्री को झेलने पड़ते हैं। मुख्यमंत्री और BJP के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट फेरबदल पर कुछ नहीं बोलते हैं लेकिन दोनों Cabinet Expansion पर अलबत्ता, साफ-साफ कई बार कह चुके हैं।
अंदरखाने शीर्ष स्तर पर ये माना जा रहा है कि कुछ मंत्रियों की छुट्टी भी हो सकती है। कुछ मंत्रियों की प्रतिष्ठा ऐसी है कि वे अगर हटाए जाते हैं तो BJP-सरकार और मोदी-शाह के लिए साल-2027 का विधानसभा चुनाव उम्मीदों भरा हो सकता है। ये कहा नहीं जा सकता है कि गुजरात सरीखा कदम मोदी-शाह क्या उत्तराखंड में भी उठा सकते हैं लेकिन ये तय है कि मंत्रिमंडल का जो भी हो, अगला विधानसभा चुनाव जिताने का अहम जिम्मा फिर PSD को ही अपने काँधों पर उठाना है। मंत्रियों के भरोसे बैठना आत्मदाह सरीखा होगा।
पुष्कर पर आला कमान (मोदी-शाह) को इस कदर यकीन है कि उनको आज फिर बिहार में झोंक दिया गया। वह सिवान हैं। वहाँ 3 जनसभाओं को संबोधित करेंगे। PSD मेहनती और रात-दिन न देखते हुए जिम्मेदारियों को अंजाम देने वाले मुख्यमंत्री हैं। एक दिन में उनको कई राज्यों का दौरा करते और तमाम आयोजनों-बैठकों में शामिल होते देखना अचंभित अब नहीं करता है। वह BJP के लिए अधिकांश मौकों पर लोकसभा-विधानसभा चुनावों में पारस पत्थर साबित हुए हैं।
PSD को पार्टी के लिए Lucky Charm माना जाता है। संकटों-मुसीबतों से जूझना और सियासी तूफानों से सकुशल निकलते रहना उनकी खूबी है। इसके बावजूद सियासत की नब्ज जानने वाले मानते हैं कि गुजरात Formula BJP के साथ ही पुष्कर के लिए बहुत मुफ़ी रहेगा। वह आज बिहार से सीधे दिल्ली पहुंचेंगे। वहाँ उनके Program अभी मालूम नहीं लेकिन संभव है कि मोदी-शाह और आला कमान के कुरसीदारों से उनकी मुलाक़ात हों। उनके दिल्ली से लौटते ही फिर MLAs का जमघट उनकी देहरी पर नजर आए और व्याकुल-घबराए मंत्रियों को भी उनमें देखा जाए तो ताज्जुब नहीं होना चाहिए।
 
					


