
Chetan Gurung
ब्राजील की फेडरल यूनिवर्सिटी ऑफ रियो डी जेनेरियो की प्रोफेसर QF ऑफेलिया ने कहा कि दुनिया में 70 फीसदी ऊर्जा से जुड़ी Green House गैस उत्सर्जन के लिए शहर जिम्मेदार हैं लेकिन अहम पहलू ये है कि वही विश्व की 80 प्रतिशत GDP का आधार हैं। आज जरूरत जीवाश्म ईंधन से हटकर टिकाऊ ऊर्जा की ओर बढ़ने की है।
ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रोफेसर ओफेलिया ने कहा कि विश्व की 59 प्रतिशत शहरी आबादी ऐसे शहरों में रहती है जिनकी जनसंख्या 10 लाख से अधिक है। ऐसे में स्वच्छ ऊर्जा और स्मार्ट तकनीकों को अपनाना ही भविष्य को सुरक्षित बनाएगा।
समापन सत्र में ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी के कुलपति डा. नारपिंदर सिंह ने कहा कि ऐसे सत्र पर्यावरण संरक्षण को सही दिशा देने में मददगार होते हैं। छात्रों को वास्तविक परिस्थितियों की समझ मिलती है। वे समझ पाते हैं कि वे किस तरह समाज और पर्यावरण में सार्थक बदलाव ला सकते हैं।
IIT-दिल्ली के डा. सौविक दास ने इलेक्ट्रोकेमिकल समाधानों से पर्यावरणीय स्थिरता पर बताया कि किस प्रकार यह तकनीकें जल शुद्धिकरण, बायोहाइड्रोजन उत्पादन और मिट्टी की गुणवत्ता सुधार में क्रांतिकारी साबित हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि इन समाधानों से न केवल प्रदूषण कम होगा बल्कि स्वच्छ ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित कर भारत सतत् तकनीक में वैश्विक नेतृत्व की ओर बढ़ सकेगा।
सम्मेलन का आयोजन ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी के सिविल इंजीनियरिंग विभाग और इटली की यूनिवर्सिटी ऑफ नेपल्स पार्थेनो में संयुक्त रूप से किया। इस अवसर पर सिविल इंजीनियरिंग के विभाग अध्यक्ष डा. KK गुप्ता, डा. प्रवीण TR,डा. करण सिंह, दीपक सिंह, राहुल वैष्णव मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ दीपशिखा शुक्ला ने किया।
 
					


