
Chetan Gurung
CM पुष्कर सिंह धामी की परिक्रमा में अचानक फिर से विधायकों-मंत्रियों का उमड़ पड़ना फकत इत्तफाक हो सकता है लेकिन सियासी दुनिया में इसके बहुत बड़े और गहरे माने देखे जा रहे हैं। ये बयार फिर बहने लगी है कि क्या मंत्री बनने का अरमान पाले विधायकों को उम्मीद या खुश फहमी हो चली है कि Assembly Elections के अब चौखट के करीब आने से उनके लिए भी मंत्रिमंडल के फाटक खुल सकते हैं। उनको अच्छी तरह अंदाज है कि आला कमान के बेहद भरोसेमंद और हर दिन-पल के साथ मजबूत होते चले आ रहे मुख्यमंत्री पुष्कर की इच्छा के बगैर PM नरेंद्र मोदी-HM अमित शाह और नए कार्यकारी अध्यक्ष नबीन नितिन मंत्रिमंडल विस्तार या फेरबदल से मुताल्लिक किसी भी फैसले को हरी झंडी नहीं देंगे। उनका शहीद मेख गुरुंग मार्ग स्थित मुख्यमंत्री आवास पर अचानक जुटना इसका ट्रैलर समझा जा रहा।





Cabinet Expansion या Reshuffling पर कोई साफ संकेत पहले की तरह इस बार जुबान से नहीं है लेकिन तस्वीरें और विधायकों की मुख्क्यमंत्री से मिलने की बेकरारी और चाहत इस ओर ईशारा करती या हालात की चुगली करती नजर आ रही है। पहले कम से कम दो मौकों पर BJP के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट के साथ ही खुद मुख्यमंत्री PSD ने नए मंत्रियों की सरकार में Entry को ले के खुल के बयान दिए थे। कभी Bye-Elections तो कभी किसी न किसी राज्य के General Assembly Elections मंत्रिमंडल विस्तार या फेरबदल में आड़े आ गया।
PM मोदी-HM शाह की रजामंदी और निर्देश के बगैर ये सियासी Development आकार नहीं ले सकता है। दोनों हे देश के व्यस्ततम शख्सियत हैं। उनके पास उत्तराखंड सरीखे छोटे से हिमालयी राज्य के लिए सियासी नजरिए से कीमती वक्त निकालना आसान नहीं है। एक वजह और भी मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलों के आकार न ले पाने को ले के हो सकती है। उत्तराखंड ऐसा राज्य है जहां, BJP और मोदी-शाह को सबसे कम समस्याओं का सामना करना पड़ता है और सबसे अधिक सकारात्मक नतीजे मिलते रहे हैं। CM PSD उनकी उम्मीदों पर उनके पैमाने से ज्यादा खरे उतरत्ते रहे हैं। वह मोदी-शाह के Blue Eyed CM के तौर पर देश भर में जाने जाते हैं।
ये जरूर है कि मंत्रियों की कमी और अन्य राज्यों में चुनावों के दौरान सितारा प्रचारक की भूमिका में भेजे जाने के लिए सबसे उपयुक्तों में होने के बावजूद सरकारी कामकाज में पुष्कर कोई कमी नहीं रहने दे रहे। उनको सुबह से ले के देर रात तक और हफ्ते के सातों दिन मुस्तैदी से सरकारी-BJP से जुड़े फर्ज को निभाते देखा जा सकता है। मंत्रिमंडल विस्तार की संभावनाओं को इस लिए फिर बल मिल रहा है कि कुछ दिनों से अचानक ही विधायक दौड़े-दौड़े सरकार के मुखिया के पास चले आ रहे। इनमें मंत्री भी हैं। मंत्रियों को कुर्सी बचाने के लिए बेचैन समझा जाता है। विधायक इस कोशिश में हैं कि कम से कम एक साल ही सही मंत्री बनने का मौका मिल जाए।
विधायकों में प्रदीप बत्रा-खजानदास-किशोर उपाध्याय-उमेश शर्मा काऊ-बंशीधर भगत-सुरेश गड़िया-सरिता आर्य-भरत सिंह चौधरी और मंत्री गणेश जोशी शामिल हैं। ये मेल-मुलाकातों का सफर अभी जारी रहने की उम्मीद है। इतनी अधिक तादाद में अचानक विधायक मुख्यमंत्री के पास दौड़े चले आएंगे तो इन संभावनाओं-चर्चाओं के बादलों का उड़ना स्वाभाविक है कि मंत्रिमंडल में कुछ तो होने वाला है। विधानसभा चुनावों के लगातार करीब आते जाने से भी विधायकों की अपेक्षाओं का परवाज़ भरना उचित ही माना जाएगा कि CM की राय ले के आला कमान शायद मंत्रिमंडल के साथ कुछ प्रयोग कर सकता है। 5 खाली सीटों को भर सकता है और सरकार के खिलाफ माहौल से निबटने के लिए कुछ दागी या सुरखीबाज-प्रतिष्ठा रहित मंत्रियों को राम-राम-फिर मिलेंगे कह सकता है।
विधानसभा चुनाव जीत के Hat Trick लगाने की मंशा पाले बैठे मोदी-शाह इसके लिए संभव है कि पुष्कर को पूरी तरह उनकी इच्छा के मुताबिक नई मंत्रिमंडल टीम बनाने का अधिकार-छूट दे डालें। दोनों ये भी अच्छी तरह जानते हैं कि अपनी पसंद के चेहरों के बिना भी पुष्कर ने मंत्रिमंडल को अभी तक बड़ी मेहनत-मशक्कत से मोदी-शाह की छाया में इतना लंबा खींचा है। पसंद की टीम मिल गई तो वह चुनाव में तिकड़ी लगाने का करिश्मा कर सकते हैं। मोदी-शाह को अच्छी तरह ये भी मालूम है कि पार्टी में कौन-कौन चेहरे ऐसे हैं, जो मुख्यमंत्री पुष्कर के लिए मुफीद नहीं हैं। जो सरकार और पार्टी का माहौल बिगाड़ने-Inhouse राजनीति में घुसे रहते हैं।
अचंभा नहीं होगा अगर PM-HM पूरी तरह PSD को आजादी दे दें कि अपने हिसाब से टीम चुनो और चुनावी जीत के तिकड़ी लगा के दिखाओ। फतह की Hat Trick लगाने का कमाल भी पुष्कर ही कर सकते हैं। वह विरोधियों को साथ ले के चलने और विपक्षी दल Congress में खलबली मचाने का हुनर भी अच्छी तरह जानते हैं। ये भी High Command अच्छे से जानता है। मौजूदा BJP और मोदी-शाह के बारे में अंदाज अच्छी तरह लगा सकने वालों को एहसास है कि पार्टी और सरकार को ले के कभी भी अचानक चौंकाने वाले फैसले सामने आ सकते हैं। बिलकुल उसी तरह, जैसे सभी कयासों को धूल-धूसरित कर बड़े दावेदारों को झटक के नितिन नबीन BJP के कार्यकारी अध्यक्ष बना दिए गए।



