
Chetan Gurung
बेहद गंभीर हालात में पहुँच चुके दिल के मरीज़ को Graphic Era Hospital के विशेषज्ञ Doctors ने ‘टियर‘ प्रक्रिया से जिंदगी की नई रोशनी दी। खास पहलू ये रहा कि ऐसा इलाज उत्तराखंड और आसपास के राज्यों में पहली बार किया गया।
देहरादून के 65 वर्षीय पुरुष पिछले एक वर्ष से हृदय रोग से जूझ रहे थे। हर सांस उनके लिए एक संघर्ष बन चुकी थी। पैरों में सूजन और बार-बार गंभीर अवस्था में पहुंच जाना उनकी जिंदगी को असहनीय बना रहा था। जांच में सामने आया कि उनके दिल का माइट्रल वाल्व गम्भीर रूप से लीक कर रहा है।
दिल और फेफड़ों की नाजुक स्थिति इतनी चुनौतीपूर्ण थी कि Open Heart Surgery मुमकिन नहीं थी। हालात के मद्देनजर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. राज प्रताप सिंह, हार्ट सर्जन डॉ. अखिलेश पांडे, एनेस्थीसिया स्पेशलिस्ट डॉ. SP गौतम, डॉ. हिमांशु राणा और उनकी टीम ने पहली बार कैथेटर बेस्ड माइट्रल वाल्व क्लिप प्रक्रिया को अंजाम दिया।
इस ट्रांसकैथेटर एज-टू-एज रिपेयर (टियर) तकनीक में कैथेटर को जांघ के रास्ते दिल तक पहुंचाया गया। लीकेज वाले वाल्व पर एक क्लिप लगाकर उसके रिसाव का इलाज किया गया। यह नॉन-सर्जिकल प्रक्रिया लाइव 4डी ट्रांसईसोफेगल इको इमेजिंग की मदद से की गई।
डॉ. हिमांशु ने बताया कि दिल का यह रिसाव 10 प्रतिशत ऐसे मरीजों में पाया जाता है जिन्हें पहले दिल का दौरा, बाईपास सर्जरी या कोरोनरी आर्टरी डिजीज़ रही हो। उम्र बढ़ने के साथ यह समस्या गंभीर हो सकती है। समय पर इलाज न मिलने पर यह Heart Failure और मौत तक का कारण बन सकता है।
डॉ. गौतम ने इसे चिकित्सा विज्ञान की बड़ी उपलब्धि बताया जिसे कभी असंभव माना जाता था। डॉ. अखिलेश ने बताया कि ग्राफिक एरा अस्पताल पहले से ही सर्जिकल और ट्रांसकैथेटर वाल्व रिप्लेसमेंट का केंद्र रहा है। अब अत्याधुनिक नॉन-सर्जिकल विकल्प भी यहां उपलब्ध है।
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Nurses के लिए विशेष ब्लड ट्रांसप्लांट पर कोर्स
ग्राफिक एरा अस्पताल में अब रक्त कैंसर और बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए नर्सिंग का विशेष स्पेशलाइजेशन ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू किया। इस पहल का उद्देश्य रक्त कैंसर और बोन मैरो ट्रांसप्लांट मरीजों को सटीक देखभाल देना है।
यह ग्राफिक एरा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज और ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी के सहयोग से क्लिनिकल हेमेटोलॉजी और बोन मैरो ट्रांसप्लांट विभाग में HoS क्लीनिकल हेमेटोलॉजिस्ट डॉ. जगजीत सिंह के पर्यवेक्षण में संचालित किया जाएगा। इसमें नर्सों को रक्त कैंसर और बोन मैरो ट्रांसप्लांट मरीजों की संपूर्ण नर्सिंग देखभाल सिखाई जाएगी।
प्रशिक्षण में कीमोथेरेपी प्रोटोकॉल, बीएमटी सेंटर प्रबंधन, पॉलिटिव केयर, बोन मैरो एस्पिरेशन, लंबर पंचर, पीआईसीसी लाइन और सेंट्रल लाइन जैसी प्रक्रियाएं शामिल हैं। फेलोशिप में पैथोलॉजी, सैंपल कलेक्शन और क्रिटिकल केयर का भी अभ्यास करवाया जाएगा।
कोर्स पूरा करने वाले प्रतिभागियों को ग्राफिक एरा इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज और ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी की ओर से प्रमाण पत्र दिया जाएगा। यह स्पेशलाइजेशन ट्रेनिंग प्रोग्राम नर्सों को नई दक्षता और मरीजों को बेहतर देखभाल का भरोसा देगा।