
Chetan Gurung
सिर पर आ खड़े Monsoon के मौसम में उत्तराखंड के पहाड़ी हिस्सों में संभावित आपदा के संकट से निबटने के लिए इस बार पुष्कर सरकार ने ठोस कदम उठाते हुए अभी से अपनी हर किस्म की जरूरी तैयारियों को अंजाम दे दिया है। CM पुष्कर सिंह धामी ने आज होटल में आयोजित आपदा प्रबंधन तैयारियों पर आयोजित कार्यशाला में अफसरों से गुजरे सालों की आपदाओं से सीख और सबक लेते हुए भविष्य में अपनी तैयारियां ठोस और दुरुस्त रखने पर बल दिया।
CM पुष्कर सिंह धामी को Memento भेंट करते CS आनंदबर्द्धन
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उन्होंने कहा कि सरकार ने आपदा सखी के तौर पर महिला स्वयंसेवकों को आपदा राहत-प्राथमिक चिकित्सा और लोगों को मनोवैज्ञानिक मदद के लिए तैयार करने के लिए प्रशिक्षित और दक्ष किया है। प्राकृतिक आपदाओं को टाला नहीं जा सकता, लेकिन त्वरित प्रतिक्रिया, सतर्कता और फौरन राहत एवं बचाव कार्यों से जन-धन की हानि को कम किया जा सकता है। इसके लिए सभी विभागों के बीच समन्वय के साथ सजगता एवं संवेदनशीलता भी बेहद जरूरी है।
CM ने कहा कि आपदा प्रबंधन सभी विभागों का सामूहिक दायित्व है। इसमें आम लोगों की सक्रिय सहभागिता भी आवश्यक है। आपदाओं के निपटारे के लिए प्रोएक्टिव और रिएक्टिव दोनों प्रकार की रणनीति अपनाना जरूरी है। पूर्वानुमान पर गंभीरता से काम करने पर आपदा के प्रभाव को कम किया जा सकता है। राज्य सरकार आधुनिक तकनीकों और वैज्ञानिक उपायों को अपनाने पर जोर दे रही है।
PSD ने कहा कि राज्य में रैपिड रिस्पॉन्स टीम गठित करने के साथ ड्रोन सर्विलांस, जीआईएस मैपिंग और सैटेलाइट मॉनिटरिंग के माध्यम से आपदा के संभावित जोखिम क्षेत्रों की पहचान की जा रही है। आपदा प्रबंधन विभाग, NDRF,SDRF-स्थानीय प्रशासन के बीच बेहतर समन्वय स्थापित किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा सिल्क्यारा रेस्क्यू अभियान के दौरान उन्होंने स्वयं टनल में फंसे मजदूरों से संवाद कर उनका हौसला बढ़ाया था। उन्होंने कहा कि भूस्खलन, बाढ़ और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान कर, जेसीबी, क्रेन एवं आवश्यक उपकरणों की तैनाती सुनिश्चित की जाएगी। संवेदनशील और पुराने पुलों की तकनीकी जांच कर आवश्यकतानुसार बैली ब्रिज एवं वैकल्पिक व्यवस्था के लिए भंडारण सुनिश्चित किया जाएगा।
सदस्य (राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण) राजेंद्र सिंह ने कहा कि भारतीय मौसम विभाग ने आगामी मानसून में उत्तराखंड के लिए सामान्य से अधिक बारिश का पूर्वनुमान लगाया है। ऐसे में उत्तराखंड के लिए 15 जून से सितंबर तक आपदा की नजर से महत्वपूर्ण समय है। उत्तराखंड बाढ़, बादल फटने, भूस्खलन, भूकंप की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है। इनसे बचने के लिए बेहतर पूर्वानुमान, बुनियादी ढांचों, जन जागरूकता, बेहद जरूरी है। उन्होंने उत्तराखंड सरकार की सराहना करते हुए कहा कि इस वर्ष चार धाम यात्रा बेहद सुचारू रूप से चल रही है। चार धाम यात्रा का प्रबंधन बेहद अच्छा है।
CS आनंदबर्द्धन-उपाध्यक्ष (उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबन्धन सलाहकार समिति) विनय रोहेला,सचिव (आपदा) विनोद कुमार सुमन ने भी तैयारियों पर जानकारी दी। इस दौरान प्रमुख सचिव RK सुधांशु, सचिव शैलेश बगौली, प्रमुख वन संरक्षक धनंजय मोहन, विभिन्न HoDs और विशेषज्ञ मौजूद थे।