अंतरराष्ट्रीयउत्तराखंडक्राइमदेशराजनीतिराष्ट्रीय

Big News::ताउम्र जेल की चक्की पीसेंगे अंकिता भण्डारी के हत्यारे::पुलकित आर्य-अंकित उर्फ पुलकित गुप्ता-सौरभ भास्कर को अदालत ने कारावासों की सजा से जकड़ डाला:CM पुष्कर ने कहा,`संकल्प पूरा हुआ-अपराधी कितना भी बड़ा हो,बख्शा नहीं जाएगा’

दोषियों को सजा दिलाने के लिए CM PSD ने पुलिस को झोंक डाला था:खुद करते रहे Monitoring:इस फैसले के सियासी कोण सरकार-BJP के लिए बेहद अहम! उत्तराखंड ने इकलौते मामले में पाई Jet Speed से सजा दिलाने में कामयाबी

Chetan Gurung

तकरीबन पौन 3 सालों से उत्तराखंड और खास तौर पर पहाड़ को सुलगाए रखने वाले बेहद चर्चित मामले में कोटद्वार की अपर सत्र न्यायाधीश रीना नेगी ने आज वह फैसला दिया, जो पौड़ी की बेटी अंकिता भण्डारी की आत्मा को अब शायद सुकून दे सके। अदालत ने पुलिस सुरक्षा और निषेधाज्ञा के माहौल में बाहर दूर संभावित फैसले का इंतजार बेकरारी-बेचैनी से कर रहे लोगों के तकरीबन मन माफिक फैसला देते हुए अंकिता के हत्यारों पुलकित आर्य-अंकित उर्फ पुलकित गुप्ता और सौरभ भास्कर को ताउम्र जेल की सजा सजा सुनाने के साथ ही 5 और 2 वर्ष की अतिरिक्त सजा भी जुर्माने के साथ सुनाई। 3 साल से कम वक्त में आए इस फैसले पर CM पुष्कर सिंह धामी ने त्वरित प्रतिक्रिया दी,`मैंने पहाड़ की बेटी-बहन अंकिता के हत्यारों को कठोरतम सजा दिलाने का संकल्प लिया था। ये आज पूरा हुआ। हमारी सरकार में कोई भी अपराधी कितना भी रसूख वाला और ताकतवर क्यों न हो, वह कानून के शिकंजे से कभी नहीं बच सकेगा’। इस फैसले को सिर्फ एक अपराध और इसके दोषियों को सजा भर के तौर पर नहीं देखा जा रहा। इस फैसले के सियासी कोण भी तेजी से उभर के आने तय हैं। पहली बाजी सत्तारूढ़ BJP-मुख्यमंत्री के हाथ लगी है।

अंकिता भण्डारी के हत्यारों को सजा दिलाने का संकल्प पूरा किया-CM पुष्कर सिंह धामी

————————

तीनों अपराधियों को अलग-अलग तमाम धाराओं में सजा सुनाई गई। उम्र कैद कठोर होगी और 5 तथा-2 साल की सजा साधारण। उम्र कैद के साथ 50,000 और बाकी सजाओं में 10,000 और 2000 रूपये के जुर्माने की सजा भी सुनाई गई। अंकिता भण्डारी की हत्या और उसमें तीनों आरोपियों का हाथ साबित होने के बाद जब सजा सुनाई जा रही थी तो अदालत के बाहर भारी तादाद में पुलिस और बैरिकेडिंग के साए में लोग तीनों आरोपियों पर Judgement जानने के लिए बेहद उद्वेलित थे। उनको थाम पाना पुलिस के लिए भारी सिर दर्द साबित हो रहा था।

 

 

 

अंकिता की हत्या 18 सितंबर-2022 को हुई थी। वह पुलकित के ऋषिकेश के करीब स्थित वनन्तरा Resort में Receptionist थी। ये आरोप भी पुलकित और अन्य पर लगे थे कि वे अंकिता पर किसी VIP को Extra Service (यौन संबंध) देने के लिए दबाव डाल रहे थे। उसके ना मानने पर उसकी हत्या चीला नहर में रात के वक्त कुनाऊ पुल के आसपास धक्का दे के कर दी गई थी। इस मामले ने आपराधिक से अधिक सियासी शक्ल ले ली थी। Congress के साथ ही कई अन्य संगठनों ने सरकार की खूब घेराबंदी की कोशिश की।

अपराध और हालात की संवेदनशीलता के मद्देनजर मुख्यमंत्री पुष्कर ने इस मामले पर न सिर्फ कमान अपने हाथों में रखी बल्कि SIT का गठन भी महिला IPS अधिकारी की अगुवाई में किया। CM की कड़ी और निरंतर निगरानी के साथ ही पुलिस की भी मेहनत को तीनों अपराधियों को मिली सजा के लिए नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है। उस वक्त के DGP अभिनव कुमार ने इस मामले पर खूब मेहनत की और SIT से कराई थी। इसमें शक नहीं कि ये ऐसा मामला बन गया था, जो अपराधियों को कठोरतम सजा न होती तो BJP और सरकार के लिए कांटे साबित हो सकता था। दरअसल दोषियों को कठोरतम सजा दिलाना पहाड़ की अस्मिता का सवाल बन चुका था।

CM Pushkar Singh Dhami with Parents of Ankita Bhandari (File Foto)

—————————–

मुख्यमंत्री के तौर पर पुष्कर के लिए अंकिता हत्याकांड किसी भी कोण से देखा जाए तो बेहद अहम था। सजा का ऐलान होते ही उन्होंने कहा,`पहाड़ की बेटी-बहन अंकिता के साथ जो दुखद हुआ, उसके लिए मैंने संकल्प लिया था कि उसके हत्यारों को कठोर से कठोर सजा दिला के रहूँगा। पहाड़ की बेटी-बहन को इंसाफ दिला के रहेंगे। पुलिस को तभी आदेश दे दिया था कि जो भी आरोपी हैं, उनको तत्काल गिरफ्तार किया जाए। महिला IPS अफसर की अगुवाई में SIT बनाई गई। सटीक कार्रवाई हुई। इससे आरोपियों को जमानत नहीं हो पाई। मेरा संकल्प आज पूरा हो गया। ये भी आज साफ हो गया कि अपराधी कोई भी हो, कानून से ऊपर नहीं है। देवभूमि में कोई भी अपराधी कितना भी बड़ा हो-उसके हाथ कितने ही लंबे हो,कानून से नहीं बच सकता।‘

अदालत के आज के फैसले के खिलाफ दोषी ऊपरी अदालतों में जा सकते हैं और उन पर दबाव बनाने के लिए अंकिता भण्डारी हत्याकांड को ज़ोर-शोर से उठा के अपराधियों और पुलिस पर दबाव बनाने वाले भी मौत की सजा की मांग ले के ऐसा ही कदम उठा सकते हैं। जल्द ही इस पर तस्वीर साफ होगी। इस राय से अधिकांश एकमत हैं कि आपराधिक मामला होने के बावजूद अंकिता भण्डारी हत्याकांड बहुत अहम सियासी मुद्दा बन गया था और खास तौर पर पहाड़ की अस्मिता-स्वाभिमान के संदर्भ में उससे भी बड़ा मसला हो चुका था।

सियासी समीक्षक मान रहे कि CM पुष्कर ने सिर्फ अंकिता के हत्यारों को जेल की सलाखों में घुट-घुट के जीने के लिए ही मजबूर नहीं किया बल्कि खुद को सियासी-प्रशासनिक तौर पर भी बहुत सशक्त कर डाला। UP और अन्य BJP शासित राज्यों में इस किस्म के जुर्म के कई मामले राष्ट्रीय स्तर पर उछले। उत्तराखंड ने इकलौते मामले को भी इतनी जल्दी अंजाम पर पहुंचाने में जबर्दस्त कामयाबी पाई।

 

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button