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पुष्कर Cabinet Decisions!!योग नीति-योगा निदेशालय स्थापित होंगे:नई Procurement Policy को भी झंडी:उत्तराखंड को International Yoga और आध्यात्मिक केंद्र के तौर पर विकसित किया जाएगा

बोले PSD,`Cabinet के फैसले ऐतिहासिक-राज्य के विकास-आर्थिकी-रोजगार सृजन को मिलेगा बल'

Chetan Gurung

पुष्कर मंत्रिमंडल की अहम बैठक में आज कई अहम और न्बड़े फैसले लिए गए। राज्य की योग नीति और योगा निदेशालय की स्थापना पर निर्णय लिए गए। नई खरीद नीति को हरी झंडी दी गई। CM पुष्कर सिंह धामी ने आज के Cabinet फैसलों को ऐतिहासिक करार देते हुए कहा कि राज्य के विकास-आर्थिकी और रोजगार सृजन को इन फैसलों से रफ्तार मिलेगी। राज्य सरकार की खरीद नीति (Procurement Policy) को भी हरी झंडी दी गई। बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी सचिव (गोपन-CM) शैलेश बगौली और सचिव (वित्त) दिलीप जावलकर ने पत्रकारों को दी।

पुष्कर Cabinet के तथ्यात्मक-पूरे फैसले पढ़ें-

1- उत्तराखण्ड अधिप्राप्ति (Procurement) नियमावली-2024 के प्रख्यापन पर फैसला।

–वित्त विभाग की अधिसूचना (14 जुलाई, 2017) के जरिये राज्य में अवस्थापना एवं सेवा परियोजनाओं के लिए सामग्री, निर्माण कार्य, सेवाओं की अधिप्राप्ति और लोक निजी सहभागिता की व्यवस्था करने के प्रयोजन और उनसे सम्बन्धित या अनुषांगिक विषयों के विनियमन के लिए उत्तराखण्ड अधिप्राप्ति नियमावली-2017 है।

राज्य की भौगोलिक परिस्थिति तथा व्यवहारिक पहलुओं को ध्यान में रखते हुए उत्तराखण्ड अधिप्राप्ति नियमावली में संशोधन करते हुए नई उत्तराखण्ड अधिप्राप्ति (Procurement) नियमावली, 2024 को प्रख्यापित करने पर फैसला हुआ।

कैबिनेट ने उत्तराखंड अधिप्राप्ति नियमावली में संशोधन का अनुमोदन करते हुए राज्य के स्थानीय निवासियों के सशक्तिकरण और उनके रोजगार के अवसरों में वृद्धि करने के लिए विभिन्न विभागों में रू. 10 करोड़ तक की लागत के कार्य स्थानीय व्यक्तियों या स्थानीय पंजीकृत फर्मों के माध्यम से ही कराए जाने का निर्णय लिया गया है। अभी तक स्थानीय लोगों के लिए यह सीमा रू.5 करोड़ तक थी।  राज्य के विभागों में विभिन्न श्रेणियों में पंजीकृत ठेकेदारों के लिए कार्य की सीमा को भी बढ़ाने का निर्णय लिया गया।

कैबिनेट ने SHG (स्वयं सहायता समूहों) एवं MSME  को प्रोत्साहित करने तथा स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से दोनों को क्रय वरीयता प्रदान करने के लिए भी नीति का अनुमोदन किया। अभी तक स्थानीय स्तर पर
SHG को रू.5 लाख तक की लागत के कार्य दिए जा सकते थे। राज्य के सरकारी विभागों की Tender प्रक्रिया में SHG-MSME को न्यूनतम दर की निविदा से 10 प्रतिशत की सीमा तक क्रय वरीयता मिलेगी।

निविदा प्रक्रिया में अर्नेस्ट मनी को भौतिक रूप में जमा किये जाने की व्यवस्था को समाप्त कर अब निविदाओं के साथ ऑनलाईन EBG (इलेक्ट्रॉनिक बैंक गारंटी) लेने का निर्णय लिया गया। खरीद में शिकायतों के निस्तारण के लिए IFMS पोर्टल पर ग्रीवांस रिड्रेसल यूटिलिटी को भी संचाालित करने के लिए अनुमोदन प्रदान किया गया।

2- उत्तराखण्ड Mega Industrial and Investment Policy-2025 के प्राख्यापन पर निर्णय।

–राज्य में वृहत उद्यमों के लिए वर्तमान में लागू मेगा इण्डस्ट्रियल एवं इन्वेस्टमेंट नीति-2021 के अंतर्गत बार-बार आवेदन की जटिल प्रक्रिया एवं नीति 30 जून-2025 को समाप्त होने तथा केन्द्र सरकार के राज्य के लिए लागू औद्योगिक विकास योजना -2017 के वर्ष 2022 में समाप्त होने के कारण वृहत उद्यमों के लिए पूंजीगत उपादान की अन-उपलब्धता के दृष्टिगत पूर्व नीति में प्रावधानित सभी प्रकार के उपादानों को सम्मिलित कर पूंजीगत उपादान का प्रावधान करते हुए उत्तराखण्ड मेगा इण्डस्ट्रियल एवं इन्वेस्टमेंट नीति-2025 प्रस्तावित की गई। इसका उद्देश्य राज्य का आर्थिक विकास एवं अतिरिक्त रोजगार अवसरों का सृजन करना है। यह नीति जारी होने की तिथि से प्रभावी होकर आगामी 5 वर्ष तक रहेगी। इस अवधि में सिंगल विण्डो पोर्टल पर कैफ (CAF) आवेदन करते हुए नीति के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने का आशय व्यक्त करने वाली इकाईयों को वृहत उद्यम निवेश श्रेणी के अनुरूप अनुमन्यतानुसार वित्तीय प्रोत्साहन का लाभ मिलेगा।

इस नीति के अंतर्गत स्थाई पूंजी निवेश (भूमि को छोड़कर) के आधार पर वृहत उद्यमों को 4 श्रेणी – Large (रू.50 करोड़ से अधिक लेकिन रू. 200 करोड़ तक), अल्ट्रा लार्ज (रू. 200 करोड़ से अधिक लेकिन रू. 500 करोड़ तक), मेगा (रू. 500 करोड़ से अधिक लेकिन रू.1000 करोड़ तक) तथा अल्ट्रा मेगा (रू.1000 करोड़ से अधिक) के अंतर्गत वर्गीकृत करते हुये इनके लिए 50, 150, 300 तथा 500 न्यूनतम स्थाई रोजगार की सीमा निर्धारित की गई। इस निवेश के लिए कैफ आवेदन की तिथि से 3 से 7 वर्ष की समय-सीमा निर्धारित की गई है।

इस नीति के अंतर्गत स्थापित होने वाले उद्यमों की खरीदी गई भूमि क्रय विलेख/ लीज डीड के निष्पादन पर देय स्टॉम्प ड्यूटी में 50 प्रतिशत (अधिकतम रू. 50 लाख) की प्रतिपूर्ति का प्रावधान किया गया है। इस नीति के अंतर्गत लार्ज, अल्ट्रा लार्ज, मेगा, अल्ट्रा मेगा निवेश श्रेणी के वृहत उद्यमों को स्थाई पूंजी निवेश के सापेक्ष 10 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 15 प्रतिशत तथा 20 प्रतिशत के पूंजीगत उपादान का प्रावधान किया गया है। ये 8, 10, 12 तथा 15 वर्षों में उद्यमों को वाणिज्यिक उत्पादन में आने के उपरान्त वार्षिक किश्तों में देय होगा।

पर्वतीय क्षेत्रों में वृहत उद्यमों की स्थापना के लिए प्रोत्साहित करने के लिए नीति के अंतर्गत श्रेणी-A व B के जनपदों में 2 एवं 1 प्रतिशत का अतिरिक्त पूंजीगत उपादान प्रावधानित किया गया है।

3- उत्तराखण्ड विष (कब्जा और विक्रय) नियमावली, 2023 की अनुसूची में संशोधन का निर्णया।

Supreme Court के जरिये रिट याचिका संख्या-129/2006, लक्ष्मी बनाम भारत संघ में पारित निर्णय 18 जुलाई 2023  के अनुपालन में भारत सरकार के Model Poisons Possession and sales Rule, 2013 को अधिग्रहित कर उसको राज्य में लागू किया जाएगा।

वर्तमान में उत्तराखण्ड सरकार की प्रख्यापित उत्तराखण्ड विष (कब्जा एवं विक्रय) नियमावली, 2023 की सूची में मिथाईल एल्कोहॉल को विष की श्रेणी में अधिसूचित नहीं किया गया है। इससे मिथाईल अल्कोहॉल का प्रयोग करने वाली इकाईयों का निरीक्षण करने में कठिनाई होती है। इकाईयों का नवीनीकरण आसानी से हो जाता है।

मिथाईल एल्कोहॉल एक रंगहीन, ज्वलनशील एवं जहरीला तरल रसायन है। जिसका 30 मिली सेवन करने से व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है। इसके सेवन से अंधापन होना आम बात है। इन साभिकों देख के विष अधिनियम, 1919 (अधिनियम संख्या-12 वर्ष 1919) की धारा-2 एवं 8 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए उत्तराखण्ड विष (कब्जा एवं विक्रय) नियमावली, 2023 की अनुसूची में उल्लिखित विष की सूची में मिथाईल एल्कोहॉल को सम्मिलित करने का निर्णय लिया गया है।

4- राजकीय विभाग अधीनस्थ लेखा संवर्ग (अराजपत्रित) सेवा नियमावली, 2019 के राजकीय विभाग अधीनस्थ लेखा संवर्ग (अराजपत्रित सेवा नियमावली, 2019 के लागू होने से पूर्व कोषागार विभाग में कार्यरत सहायक लेखाकारों / लेखाकारों के सम्बन्ध में मौजूद वेतन विसंगति का निराकरण के संबंध में कैबिनेट निर्णय लिया गया।

राजकीय विभाग अधीनस्थ लेखा संवर्ग (अराजपत्रित) सेवा नियमावली, 2019 के लागू होने की तिथि से पूर्व कोषागार विभाग (निदेशालय कोषागार, पेंशन एवं हकदारी के अधीन आने वाले समस्त कार्यालय जिनमें कैम्प कार्यालय, कोषागार, पेंशन एवं हकदारी तथा राज्य के कोषागार / उपकोषागार) में कार्यरत सहायक लेखाकार / लेखाकार इस नियमावली के लागू होने की तिथि से ठीक पूर्व उन्हें अनुमन्य वेतनमान / वेतन लेवल पाते रहेंगे। ऐसे सहायक लेखाकार, जो न्यायालय के आदेशों के अनुक्रम में वेतन मैट्रिक्स रू0 44900-142400, लेवल 7 (ग्रेड वेतन रू0 4600) प्राप्त कर रहे थे, उन्हें लेखाकार के पद पर पदोन्नत होने पर अगला वेतन मैट्रिक्स रू0 47600-151100, लेवल 8 (ग्रेड वेतन रू0 4800) अनुमन्य होगा, के सम्बन्ध में कार्यालय ज्ञाप निर्गत करने का कैबिनेट ने निर्णय लिया।

5-बांध की निगरानी, निरीक्षण, संचालन और रख-रखाव प्रदान करने के लिए भारत सरकार की अधिसूचित बांध सुरक्षा अधिनियम, 2021 के प्राविधानों के आलोक में उत्तराखण्ड में गठित राज्य बांध सुरक्षा संगठन के जरिये उनके अधिकार क्षेत्र में निर्मित 21 बाधों की सुरक्षा स्थिति के बाबत बांध सुरक्षा संगठन, उत्तराखण्ड के वार्षिक प्रतिवेदन 2023-24 को विधानसभा के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए अनुमोदन प्रदान किया गया।

6- उत्तराखण्ड निबन्धन लिपिक वर्गीय कर्मचारी सेवा नियमावली, 2025 प्रख्यापित करने का निर्णय हुआ। राज्य में स्टाम्प और निबन्धन विभागान्तर्गत लिपिक वर्ग संवर्ग के लिए पैतृक राज्य उत्तरप्रदेश से ग्राह्य की गई लिपिक वर्ग सेवा नियमावली, 1978 ही लागू है. इसमें उत्तराखण्ड राज्य में तात्कालिक परिस्थितियों के अनुसार मात्र भर्ती प्रक्रिया निर्धारित करते हुए वर्ष 2008 में कुछ संशोधन किए गए थे, जो मौजूदा परिस्थितियों में प्रासंगिक नहीं हैं। लिहाजा मंजूर विभागीय ढाँचे के अनुरूप लिपिक वर्ग संवर्ग (मुख्य निबन्धन लिपिक, निबन्धन लिपिक एवं रिकार्ड कीपर) के पदों की खातिर भर्ती / पदोन्नति प्रकिया निर्धारित किए जाने के परिप्रेक्ष्य में उत्तराखण्ड निबन्धन लिपिक वर्गीय कर्मचारी सेवा नियमावली-2025 प्रख्यापित करने का कैबिनेट निर्णय हो गया।

इस नियमावली के लागू होने से लिपिकीय पदों पर भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और स्पष्टता सुनिश्चित होगी। पदोन्नति, वेतन वृद्धि और स्पष्ट कार्य नीति तय होगी।

7- उत्तराखण्ड सेवा क्षेत्र नीति-2024 में किए गए संशोधनों को कैबिनेट मंजूरी।

नियोजन विभाग के शासनादेश (15 मार्च, 2024) के मार्फत उत्तराखण्ड सेवा क्षेत्र नीति, 2024 प्रख्यापित की गई है। इसमें चिहनित सेवा क्षेत्र (स्वास्थ्य देखभाल, वेलनेस एवं पारम्परिक चिकित्सा, शिक्षा, फिल्म और मीडिया, खेल, ITES-डाटा सेंटर, कौशल विकास) में निवेश को प्रोत्साहित कर उनका विकास किया जाएगा। इस नीति की क्रियान्वयन एजेंसी उत्तराखण्ड निवेश एवं अवसंरचना विकास बोर्ड (UIIDB) है।

राज्य की विशेष भौगोलिक परिस्थिति को देखते हुए पर्वतीय एवं कम विकसित क्षेत्रों में प्राथमिकता के आधार पर अधिक गुणवत्तापूर्ण एवं सन्तुलित निवेश एवं विकास को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य उत्तराखण्ड सेवा क्षेत्र नीति-2024 में कुछ संशोधन करने के प्रस्ताव को मंत्रिमंडल का अनुमोदन प्रदान किया गया।

इन संशोधनों के जरिये जहां राज्य के कुछ विकसित क्षेत्रों (ऋषिकेश एवं देहरादून नगर निगम तथा मसूरी एवं मुनि की रेती नगरपालिका क्षेत्र, नैनीताल तहसील क्षेत्र) को इस नीति के दायरे से बाहर किया गया है। शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण निवेश को आकर्षित करने के लिए कुछ मानदण्ड (महाविद्यालय / विश्वविद्यालय की उच्च रैकिंग का होना, छात्रों की न्यूनतम पंजीकरण संख्या का निर्धारण, न्यूनतम पाठ्यक्रम अवधि, एक जिले में क्षेत्र-विशेष की केवल एक प्रस्तावित परियोजना को लाभ दिए जाने को सम्मिलित किया गया है।

8- उत्तराखण्ड चाय विकास बोर्ड के ढाँचें में 11 अतिरिक्त पद सृजित करने का निर्णय।

बोर्ड के पुराने चाय बागानों का जीर्णोद्धार,नए चाय बागानों की स्थापना, नए क्षेत्रों में चाय की खेती की सम्भावनाओं का सर्वेक्षण, खाली पड़ी भूमि में Tea Plantation कर स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने तथा कृषकों की आय में वृद्धि करने एवं काश्तकारों से लीज पर ली गई भूमि में चाय बागान विकसित करने पर 11 अतिरिक्त पद (4 नियमित एवं 7 आउटसोर्स) सृजित करने प्रस्ताव को कैबिनेट मंजूरी प्रदान की गई।

9- उत्तराखंड योग नीति-2025 को मंजूरी।

ऋषिकेश, कौसानी, चम्पावत सरीखे जिले कई दशकों से योग साधना के प्रमुख केन्द्र रहे हैं। इस ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को सहेजते हुए उत्तराखंड सरकार ने उत्तराखंड योग नीति -2025 की घोषणा की। राज्य कैबिनेट ने इसको मंजूरी प्रदान कर दी गई।

इस योग नीति का लाभ राज्य में योग पर्यटन को बढ़ावा देने और उत्तराखंड को अंतरराष्ट्रीय योग और आध्यात्मिकता के केंद्र के रूप में स्थापित करना है। गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए योग संस्थानों के लिए नियम और दिशा-निर्देश बनाए जाएंगे। वर्ष-2030 तक उत्तराखंड में कम से कम पांच नए योग हब स्थापित किए जाएंगे। मार्च 2026 तक राज्य के सभी आयुष हेल्थ और वेलनेस सेंटर्स में योग सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। समुदाय-आधारित माइंडफुलनेस कार्यक्रम शुरू किए जाएंगे।

योग संस्थानों का शत-प्रतिशत पंजीकरण सुनिश्चित किया जाएगा। विशेष ऑनलाइन योग प्लेटफार्म शुरू किया जाएगा। योग पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रचार अभियान और अंतरराष्ट्रीय योग सम्मेलनों का आयोजन किया जाएगा। मार्च 2028 तक 15 से 20 राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के साथ भागीदारी करने का लक्ष्य।

नए स्थापित होने वाले तथा एक्सपेंशन वाले केंद्रों को पहाड़ी क्षेत्रों में परियोजना लागत का 50 प्रतिशत या अधिकतम ₹20 लाख तक तथा मैदानी क्षेत्रों में 25 प्रतिशत या अधिकतम ₹10 लाख तक का अनुदान दिया जाएगा। वार्षिक अनुदान की सीमा ₹5 करोड़ तक होगी।

जागेश्वर, मुक्तेश्वर, व्यास घाटी, टिहरी झील और कोलीढेक झील को योग हब के रूप में विकसित करने का लक्ष्य है। इन क्षेत्रों में विकसित होने वाले योग केंद्रों को विशेष प्राथमिकता दी जाएगी।योग, ध्यान और प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में शोध को प्रोत्साहित करने के लिए ₹10 लाख तक प्रति परियोजना का अनुदान दिया जाएगा। यह सुविधा विश्वविद्यालयों, अनुसंधान संस्थानों, स्वास्थ्य संगठनों, आयुष संस्थाओं और NGO के लिए होगी। नीति अवधि में ₹1 करोड़ तक की राशि अनुसंधान के लिए तय की गई है। यह सुविधा विश्वविद्यालयों, अनुसंधान संस्थानों, स्वास्थ्य संगठनों, आयुष संस्थाओं और NGO के लिए होगी।

नीति अवधि में ₹1 करोड़ तक की राशि अनुसंधान के लिए निर्धारित की गई है। राज्य में पहले से चल रहे होम स्टे, रिसॉर्ट, होटल, स्कूल, कॉलेज में योग केंद्र स्थापित किए जाने पर योग अनुदेशक के लिए प्रत्ति सत्र ₹250 तक की प्रतिपूर्ति संस्था को दी जाएगी। हर केंद्र में एक अनुदेशक के लिए प्रति माह 20 सत्रों की प्रतिपूर्ति की जाएगी। योग और प्राकृतिक चिकित्सा निदेशालय की स्थापना की जाएगी। वह योग नीति के अमल,

यह सुविधा विश्वविद्यालयों, अनुसंधान संस्थानों, स्वास्थ्य संगठनों, आयुष संस्थाओं और NGO के लिए होगी। नीति अवधि में ₹1 करोड़ तक की राशि अनुसंधान के लिए निर्धारित की गई है। राज्य में पहले से चल रहे होम स्टे, रिसॉर्ट, होटल, स्कूल, कॉलेज में योग केंद्र स्थापित किए जाने पर योग अनुदेशक के लिए प्रत्ति सत्र ₹250 तक की प्रतिपूर्ति संस्था को दी जाएगी। हर केंद्र में एक अनुदेशक के लिए प्रति माह 20 सत्रों की प्रतिपूर्ति की जाएगी। योग और प्राकृतिक चिकित्सा निदेशालय की स्थापना की जाएगी।

वह योग नीति के अमल, नियमन, अनुदान वितरण और विभिन्न गतिविधियों की निगरानी करेगा। निदेशालय में एक निदेशक, संयुक्त निदेशक, उपनिदेशक, योग विशेषज्ञ, रजिस्ट्रार और अन्य आवश्यक स्टाफ शामिल होंगे। निदेशालय का कार्य योग केंद्रों की गुणवत्ता को सुनिश्चित करना, योग संस्थानों का पंजीकरण और योग प्रमाणन बोर्ड के अंतर्गत मान्यता प्राप्त करवाना, योग केंद्रों की रेटिंग प्रणाली बनाना और MoU के माध्यम से राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय सहयोग स्थापित करना होगा।

नीति की समीक्षा और निगरानी के लिए एक उच्च स्तरीय राज्य समिति का गठन किया जाएगा। नीति के सफल कार्यान्वयन के लिए सरकार आगमी 5 वर्षों में लगभग ₹35 करोड़ व्यय करेगी। इसमें से योग केंद्रों के लिए ₹25 करोड़, अनुसंधान के लिए ₹1 करोड़, शिक्षक प्रमाणन के लिए ₹1.81 करोड़ और मौजूदा संस्थानों में योग सत्रों के लिए संचालन में सहयोग के लिए ₹7.5 करोड़ के व्यय होने का आकलन है।

इस नीति से राज्य में लगभग 13,000 से अधिक रोजगार सृजित होंगे। 2500 योग शिक्षकों के लिए योगा सर्टिफिकेशन इसके बोर्ड से प्रमाणित होंगे। 10,000 से अधिक योग अनुदेशकों को होमस्टे, होटल में रोजगार मिलने की संभावना है।

10- राजकीय मेडिकल कॉलेज देहरादून व हल्द्वानी के समीप रोगियों के तीमारदारों के लिए विश्रामगृहों की स्थापना का निर्णय।

राजकीय मेडिकल कॉलेजों में प्रदान की जानी वाली द्वितीयक एवम् तृतीयक श्रेणी की चिकित्सा सेवा/सुविधा में IPD रोगियों के साथ तीमारदार भी आवश्यक रूप से प्रवास करते हैं। उनकी संख्या भी लगभग रोगियों / मरीजों के बराबर ही रहती है। तीमारदारों के विश्राम के लिए मूलभूत सुविधाओं वाले साफ-सुथरे, सुरक्षित विश्राम गृह राज्य के सीमित संसाधनों के दृष्टिगत राजकीय मेडिकल कॉलेज, देहरादून एवं हल्द्वानी के सम्बद्ध चिकित्सालयों के समीप विश्राम गृह की स्थापना एवं संचालन पर फैसला हुआ।

11- प्रदेश में संचालित अटल आयुष्मान योजना और राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना के तहत अस्पतालों और मेडिकल कॉलेज में लंबित देनदारियों की प्रतिपूर्ति के लिए 75 करोड़ रुपए स्वास्थ विभाग को कर्ज के रूप में किया आवंटन।

 

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