
Chetan Gurung
CM पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को मसूरी रोड स्थित होटल में “एक देश, एक चुनाव” विषय पर संयुक्त संसदीय समिति के साथ संवाद के दौरान कहा कि लोकतन्त्र की मजबूती के लिए ये सोच सबसे उपयुक्त और बेहतर है। उन्होंने समिति के अध्यक्ष PP चौधरी एवं सदस्यों का स्वागत-अभिनंदन किया।
मोदी सरकार देश में One Nation-One Election को प्रमुख मुद्दा बना रही है। वह चाहती है कि देश में बार-बार Election न हो। पैसे और लोगों के वक्त की बरबादी न हो। मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘एक देश एक चुनाव’ हमारे लोकतंत्र को और अधिक सशक्त, प्रभावी और समावेशी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल है। हमारी चुनाव प्रणाली विविधताओं के बावजूद प्रभावी और मजबूत रही है, लेकिन अलग-अलग समय में चुनाव होने से बार-बार आचार संहिता लगती है। इससे राज्यों में बहुत बड़े और अधिक तादाद में अहम कार्य बार-बार थम से जाते हैं। चुनाव आता है, तो बड़ी संख्या में कार्मिकों को मूल कार्य से हटाकर चुनाव ड्यूटी पर लगाना पड़ता है।
PSD ने तर्क दिया कि गुजरे 3 सालों में राज्य में विधानसभा, लोकसभा और निकाय चुनावों की आचार संहिता के कारण 175 दिन तक सरकारी कामकाज बुरी तरह प्रभावित हुआ। लोगों की समस्याओं को हल करने में प्रशासनिक मशीनरी असमर्थ रही। Policy Decision भी रुके रहे। छोटे और सीमित संसाधनों वाले राज्य के लिए 175 दिन शासन व्यवस्था की दृष्टि से महत्वपूर्ण होते हैं।
CM ने इस पहलू को भी सामने रखा कि विधानसभा निर्वाचन का पूर्ण व्यय भार राज्य सरकार वहन करती है। लोकसभा निर्वाचन का खर्च केंद्र सरकार उठाती है। दोनों चुनाव एक साथ कराए जाएं तो राज्य और केंद्र सरकार पर व्यय भार समान रूप से आधा-आधा हो जाएगा। चुनावी खर्च में लगभग 30 से 35 प्रतिशत तक की बचत होगी। इसका उपयोग राज्य के स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क, जल, कृषि एवं महिला सशक्तिकरण में किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में जून से सितंबर का समय चारधाम यात्रा के साथ- साथ, बारिश का भी होता है। ऐसे में चुनावी कार्यक्रम होने से बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जनवरी से मार्च तक वित्तीय वर्ष की अंतिम तिमाही के समय भी चुनावी प्रक्रिया निर्धारित नहीं की जानी चाहिए। फरवरी-मार्च के माह में हाईस्कूल एवं इण्टरमीडिएट बोर्ड परीक्षाएं होने से प्रशासनिक संसाधनों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरीखे पहाड़ी और विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले राज्यों में “एक देश एक चुनाव” महत्वपूर्ण और बहुत जरूरी है। उत्तराखण्ड के दुर्गम क्षेत्रों में मतदान केंद्रों तक पहुंचना कठिन होता है, जिसके कारण चुनाव की प्रक्रिया में अधिक समय और संसाधन लगते हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में मतदाताओं के लिए चुनाव में भाग लेना भी चुनौतीपूर्ण होता है। बार-बार चुनाव होने से लोगों में मतदान के प्रति रुझान कम होता है। मतदान प्रतिशत भी घटता है।