Chetan Gurung
दिवाली पर बमों-आतिशबाजियों की धमक रहती है लेकिन CM पुष्कर सिंह धामी ने इस बार रोशनी के त्यौहार पर सियासी शत्रुता-प्रतिद्वंद्विता नाम के गिद्ध को भगा-खटास दरकिनार कर अपने पूर्ववर्तियों को फूलों के गुच्छे भेंट कर उनसे आशीर्वाद-शुभकामनाएँ बटोर लीं.शासन-प्रशासन चलाने में सख्ती के लिए मशहूर युवा मुख्यमंत्री ने अपनत्व और व्यावहारिकता के मामले में UP-उत्तराखंड के CM रहे दिवंगत ND तिवारी की याद दिला दी तो कुछ उनको उनसे भी आगे एक किस्म से अगुवा मानने से नहीं हिचक रहे.
पूर्व CM और पूर्व राज्यपाल तथा सियासी गुरु भगत सिंह कोश्यारी को गुलदस्ता देते CM पुष्कर सिंह धामी
————————-
Congress सरकार के CM रहे हरीश रावत को दिवाली की बधाई देते CM PSD
——————
सियासत में कुर्सी चाहे CM की हो या फिर मंत्री की,उसको पाने के लिए खुद को उसके लिए काबिल मानने वाले अपने प्रतिद्वंद्वी की राजनीतिक गर्दन तक काटने के लिए सदा तैयार रहते हैं.अपने विरोधियों और प्रतिद्वान्द्वादियों से मिलना तो दूर, उनके लिए कांटे बोने या फिर उनको जेल यात्रा तक कराने की कोशिश से हिचकते नहीं हैं.कभी आमना-सामना भी हो जाए तो उनकी हिचक और मनोभाव छिपते नहीं.न वे छिपाने की कोशिश करते हैं.जान बूझ के सामने जाने या फिर उनको गले लगाने-हाथ मिलाने और शुभकामनाएँ देने या लेने का सवाल ही नहीं उठता है.
ऊपर से नीचे (पूर्ववर्तियों BC खंडूड़ी-रमेश पोखरियाल निशंक और तीरथ सिंह रावत को दिवाली की बधाई देने मुख्यमंत्री पुष्कर उनके घर पहुंचे)
————————-
पुष्कर उत्तराखंड की सियासत में जहर घुलाई को ख़त्म करने और आपसी प्रतिद्वंद्विता को निजी रिश्तों से दूर रखने और मिठास को बनाए रखने के हक़ में दिख रहे.इस दिवाली वह लगातार उन पूर्व CMs से मिल चुके हैं या फिर मिल रहे हैं, जिनसे कभी उनका 36 का आंकड़ा समझा जाता था.वह डॉ रमेश पोखरियाल निशंक-तीरथ सिंह रावत और BC खंडूड़ी से मिलने और दिवाली की बधाई-शुभकामनाएं देने उनके घर जा के लोगों और मीडिया को चौंका चुके हैं.
आज वह भगत सिंह कोश्यारी और फिर हरीश रावत के आवास भी गुलदस्ता ले के पहुँच गए.सभी से बेहद आत्मीयता से मिले.सभी के साथ उनकी दिवाली की शुभकामनाएं और बधाई का आदान-प्रदान हुआ.कोश्यारी उनके सियासी गुरु रहे हैं.उनसे मिलना इतना नहीं चौंकाता है.कोश्यारी ने पुष्कर को राजनीति में आगे बढ़ने में बहुत सहारा दिया.इससे हर कोई वाकिफ है.वह कोश्यारी के ऊर्जा मंत्री और फिर अंतरिम BJP सरकार के दूसरे CM रहने के दौरान उनके ख़ास नवरत्नों में शुमार थे.
कोश्यारी के सन्दर्भ में ये पहलू नहीं भुलाया जा सकता कि उनको CM बनाने के लिए साल-2007 में पुष्कर ने बहुत सियासी आक्रामकता दिखाई थी और CM बन गए खंडूड़ी उनसे इसके चलते उनसे खफा भी रहे.मुख्यमंत्री बनते ही पुष्कर ने पुरानी खटास ख़त्म कर दी है.वह BCK से आशीर्वाद लेने उनके आवास जाने से कभी नहीं हिचके.आज दोनों में बहुत अच्छे रिश्ते हैं.वह हरीश रावत के घर भी आज महकते फूलों के गुच्छों के साथ पहुंचे तो दोनों ऐसे मिले मानो जुड़वाँ भाई हों.न कि अलग-अलग दलों के दिग्गज.इतना स्नेह और सम्मान तो आज हरीश को उनकी पार्टी से भी नहीं मिल रहा.
हरीश को NDT के बाद सबसे लोकप्रिय और आम लोगों का मुख्यमंत्री समझा जाता रहा है.पुष्कर ने इस परिभाषा को एक किस्म से बदलना शुरू कर दिया है.नौकरशाहों और राजनेताओं को उनसे मिलने में भले उतनी आसानी न हो लेकिन आम लोगों के लिए उनसे मिलना इतना मुश्किल नहीं रहता है.इस मामले में उन्होंने CM Office के अफसरों-बाबुओं को भी ताकीद की हुई है.पुष्कर ने तीरथ और निशंक को भी पूरा सम्मान देते हुए मुलाकात की.
तीरथ सरल स्वभाव वाले और सिर्फ 4 महीने के CM का तमगा रखते हैं.इसके बावजूद ये भी तथ्य नजर अंदाज नहीं किया जाता है कि पुष्कर को उनके मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिल पाई थी.इसके बावजूद कि कुछ ऐसे चेहरे मंत्री बन गए थे, जो काबिलियत और प्रतिष्ठा के मामले में कहीं कमतर समझे गए थे.पुष्कर लेकिन उनसे भी आज बेहद सम्मान से मिलना पसंद करते हैं.उनसे दिवाली मिलने गए तो किसी को ताज्जुब नहीं हुआ.
निशंक से पुष्कर का नाता खराब नहीं रहा.बहुत करीबी भी नहीं रहे.PSD उनको अपने वरिष्ठ के नाते पूरा सम्मान देते रहते हैं.दिवाली मिलने भी इसी नाते गए.अब सिर्फ दो पूर्व CM त्रिवेंद्र सिंह रावत और विजय बहुगुणा रह गए हैं,जिनसे उनको मिलना है.पुष्कर की खासियत है कि वह कार्रवाई के मामले में बेहद कठोर दिखते रहे हैं लेकिन निजी और सार्वजानिक रिश्तों को बनाए रखने में भी यकीन रखते हैं.उनके MLA या फिर उससे पहले के दौर के तमाम सियासी-गैर सियासी लोगों और नौकरशाहों को आज सरकार में अहम चेहरों के तौर पर देखा जा सकता है.
उनको अहम कुर्सियों और जिम्मेदारियों से नवाजा हुआ है.मुख्यमंत्री बनने के बावजूद PSD उनको सम्मान देने में कंजूसी नहीं कर रहे.ये वे लोग हैं जो कभी उनके CM या MLA होने से पहले उनके साथ मजबूती से खड़े रहे.पुष्कर को भूलने की आदत नहीं है.उनको ये गुण सियासत में बहुत फायदा पहुंचा रहा है.पुष्कर का भाई-चारा वाला रुख उत्तराखंड और सियासत की ठोस परंपरा बन जाती है तो हिमालयी राज्य और देवभूमि की सियासत में साफ़ और ठन्डी-ताज़ी बयार को महसूस किया जा सकेगा.